जयपुर.अजमेर। सिक्किम में आसमान से बरसी मौत के आगोश में समाए राजस्थान के जाबांज सपूत को जब उसके 5 साल के मासूम बेटे ने मुखाग्नि दी तो समूचा माहौल गमगीन हो गया। मासूम के सवालों का जवाब किसी के पास नहीं था। वहां कुछ गूंज रहा तो केवल हनुमान राम जाट के नाम का शंखनाद… यही कि जब तक सूरज-चांद रहेगा रूपनगढ़ के शहीद हनुमान का नाम रहेगा। भारत मां के इस सपूत का विदाई देने आए हर एक शख्स की आंखें नम हो गईं। सिक्किम में 17 दिन पहले आई बाढ़ में राजस्थान का यह जवान बह गया था। भारतीय सेना के मेडिकल कोर्स के जवान हनुमान राम जाट (29) की पार्थिव देह 130 किलोमीटर दूर सिलीगुड़ी में मिली। वे अजमेर के रूपनगढ़ के रहने वाले थे।
राष्ट्रभक्ति गीतों के बीच तिरंगा यात्रा निकाल कर पार्थिव देह मंगलवार को पैतृक गांव अमरपुरा स्थित पंवारों की ढाणी पहुंची। अंत्येष्टी से पहले शहीद के अंतिम दर्शन कर पुष्पचक्र अर्पित किए गए। यहां अंतिम दर्शनों के बाद दोपहर करीब 2 बजे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पांच साल के बेटे यश ने अंतिम संस्कार की सारी विधियों का पालन किया। इस दौरान शहीद को सलामी देकर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। वीरांगना लीला देवी ने शहीद को सैल्यूट कर रूखसत किया। इस दौरान वह बार-बार बेसुध होती रहीं। शहीद के घर अंतिम दर्शनों के लिए उमड़े लोग।
इससे पूर्व सोमवार शाम करीब 6 बजे पार्थिव देह किशनगढ़ के मार्बल सिटी हॉस्पिटल में लाया गया था। मंगलवार सुबह श्रद्धांजलि देने के लिए सैकड़ों लोगों का हुजूम उमड़ा पड़ा। फूलों से सजे सेना के ट्रक से पार्थिव देह को सुबह करीब 9:40 बजे किशनगढ़ से उनके पैतृक गांव के लिए रवाना किया गया। इस दौरान भारतीय सेना के मेडिकल कोर्स के जवान शहीद हनुमान राम जाट को अंतिम विदाई देने के लिए रुपनगढ़ एसडीएम सुखाराम पिंडेल, विधायक सुरेश सिंह रावत, विकास चौधरी सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। करकेड़ी गांव से शहीद के घर तक तिरंगा यात्रा निकाली गई। इस दौरान राष्ट्रभक्ति गीतों के बीच बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। पार्थिव देह को करीब 11 बजे घर से साढ़े तीन किलोमीटर दूर करकेड़ी गांव लाए और यहां से पंवारो की ढाणी तक तिरंगा यात्रा निकाली गई। घर पर अंतिम दर्शनों के साथ ही श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 11 बजकर 46 मिनट पर पार्थिव देह को अंत्येष्टी के लिए ले जाया गया।
3 अक्टूबर को बाढ़ में बह गए थे, 17 दिन बाद मिले
गत तीन अक्टूबर की देर रात बादल फटने के बाद सीवी ग्रांड बारडांग के सीवीवाई क्षेत्र से हनुमानराम जाट अपने 23 साथियों के साथ लापता हो गए थे। हादसे के 17 दिन बाद 20 अक्टूबर को उनका पार्थिव देह घटना स्थल से करीब 130 किलोमीटर दूर तिस्ता नदी में मिला। शहीद हनुमानराम सेना के बारडांग स्थित एफडी हॉस्पिटल में सेवारत थे। वे 8 साल 7 महीने पहले सेना में भर्ती हुए थे। शहीद के परिवार में पिता सुण्डाराम, माता सोनकी देवी, पत्नी लीला, बेटा यश चौधरी (5) और बेटी दीक्षिता चौधरी (1) है। एक छोटा भाई है, जो गांव में खेती करता है।
मां की आंखों का ऑपरेशन करने के बाद ओझिल हो गया उसका लाल
परिजनों ने बताया कि उसकी बुआ के दो बेटों जितेन्द्र और महेन्द्र मुंडेल को सेना में देखकर हनुमान राम भी सेना में देशभक्ति का जज्बा रखता था। तीन बहनों के बाद हुए हनुमान राम करीब एक महीने पहले ही गांव आए थे। इस दौरान उन्होंने अपनी मां सोनकी देवी की आंखों का ऑपरेशन करवाया था। उनके वापस ड्यूटी जॉइन करने के 10 दिन बाद ही उनके लापता होने की सूचना आ गई। इससे परिवार में मायूसी छा गई। करीब 8 साल पहले उनकी शादी होने के बाद उनकी पत्नी लीला ही घर-परिवार को संभाल रही थी।
राजस्थान के 4 जवान हुए शहीद
सिक्किम में बादल फटने की घटना में सीकर के जवान सज्जन सिंह खींचड़, करौली के शिवकेश गुर्जर और बहरोड़ के भवानी सिंह शहीद हो चुके हैं। शिवकेश का शव सिक्किम से करीब 600 किलोमीटर दूर बांग्लादेश की सीमा में बंगाल की खाड़ी के पास मिला था। 20 अक्टूबर को रूपनगढ़ के हनुमानराम का शव सिक्किम से 130 किलोमीटर दूर सिलीगुड़ी में मिला था। बाढ़ को 20 दिन बीत जाने के बाद भी सेना का रेस्क्यू जारी है।