Manipur News : इम्फाल। मणिपुर के इम्फाल में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच बृहस्पतिवार को उस समय झड़प हो गई, जब बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने इम्फाल में वार्षिक संगाई पर्यटन महोत्सव के मुख्य स्थल पर धावा बोलने का प्रयास किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि किसी भी पर्यटन महोत्सव को आयोजित करने से पहले, अधिकारी राज्य में जारी संघर्ष का समाधान करें और मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित हुए लोगों (आईडीपी) के पुनर्वास की व्यवस्था करें।
पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े
मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद दो साल तक इस उत्सव का आयोजन नहीं किया गया था। इस उत्सव का आयोजन 21 नवंबर से 30 नवंबर तक होगा। मई 2023 से मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय झड़पों में कम से कम 260 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस साल फरवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है। ‘कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी’ (सीओसीओएमआई) के सदस्यों के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी मुख्य महोत्सव स्थल के निकट कोनुंग ममांग में एकत्र हुए और महोत्सव के आयोजन का विरोध किया तथा इसे रोकने की मांग की। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों से परिसर छोड़ने या शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने को कहा।
हालांकि, जब आंदोलनकारी बड़ी संख्या में मुख्य स्थल की ओर बढ़ने में कामयाब हो गए, तो सुरक्षा बलों ने आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। कार्यक्रम स्थल के निकट महाराजा बोधचंद्र कॉलेज के निकट राज्य बलों और महिलाओं समेत प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई। सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज भी किया। राज्य सरकार ने लोगों से इस उत्सव में भाग लेने की अपील की।
मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल ने सोमवार को कहा था, राज्य सरकार के लिए आईडीपी का पुनर्वास सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन संगाई महोत्सव का आयोजन आर्थिक गति बढ़ाने, स्थानीय कारीगरों, उद्यमियों, शिल्पकारों और किसानों को बाजार उपलब्ध कराने तथा व्यापार और निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए महत्वपूर्ण है। इस उत्सव का विरोध कर रहे एक प्रतिबंधित संगठन के 24 घंटे के बंद से बुधवार को इंफाल घाटी के जिलों में सामान्य जनजीवन आंशिक रूप से प्रभावित हुआ।




