Rahul Gandhi In Mangarh Dham: 9 अगस्त को विश्व भर में आदिवासी दिवस मनाया जाता है. राजस्थान के बासंवाड़ा का मानगढ़ धाम आदिवासियों की आस्था का मुख्य केंद्र है. विश्व आदिवासी दिवस के दिन ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सासंद राहुल गांधी मानगढ़ धाम से आने वाले विधानसभा चुनावों का शंखनाद करने जा रहें है. यहां राहुल गांधी जनसभा को संबोधित करते हुए आदिवासी वोटबैंक को साधने का प्रयास करेगें. राहुल गांधी की सभा में प्रदेश कांग्रेस से लेकर कांग्रेस का पूरा शीर्ष नेतृत्व मौजूद रहेगा.
आदिवासी समुदाय के लोग भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम हिस्सों में भी निवास करते है. आदिवासी समुदाय के लोगों को अपनी परंपरा, संस्कृति और लोककलाओं के लिए जाना जाता है. इस समुदाय के लोगों का रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज सब आम लोगों से बिल्कुल अलग होता है. समाज की मुख्यधारा से कटे होने के कारण ये पिछड़ गए हैं. इस कारण भारत समेत तमाम देशों में इनके उत्थान के लिए, इन्हें बढ़ावा देने और इनके अधिकारों की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जाते हैं. इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी वर्ष घोषित किया था मानगढ़ धाम आदिवासियों के शहादत का प्रमुख केंद्र होने के साथ ही राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के आदिवासियों की आस्था का भी बड़ा केंद्र है.
17 नवम्बर 1913 को हुआ था आदिवासियों का जलियांवाला काडं
इतिहासकारों के मुताबिक 17 नवम्बर 1913 अग्रेंजी हुकुमत ने 1500 आदिवासियों को घेर कर गोलियों से भून दिया था. इस दिन गोविंद गुरु का जन्म दिन मनाने के लिए आदिवासी समाज मानगढ़ धाम के पहाड़ पर एकजुट हुए थे. जहां अंग्रेजी फ़ौज ने पहाड़ी पर ही आदिवासियों को मार गिराने का पूरा प्लान तैयार करके रखा था. अंग्रेजों ने मानगढ़ धाम की पहाड़ी को घेर लिया और खच्चरों से मशीन गन और तोप पहुंचाए गए. कर्नल शटन के कहे अनुसार अंग्रेजी फौज ने जमकर गोलीबारी की. और इस हमले में 1500 आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया गया. इसी की याद में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है इस गोलीबारी कांड को आदिवासी का जलियावाला काडं भी कहा जाता हैं.
3 राज्य की इन सीटों पर पड़ेगा असर
मानगढ़ धाम भाजपा और कांग्रेस दोनो पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है आदिवासियों की धाम मानगढ़ धाम तीन राज्यों को प्रभावित करता है जिसमें गुजरात 27, राजस्थान 25 और मध्यप्रदेश की 48 विधानसभा सीटें सीधे तौर पर प्रभावित होती हैं. ये सभी सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इन 3 राज्यों की करीब 35-40 लोकसभा सीटों पर भी आदिवासी समुदाय का असर माना जाता है. मध्य प्रदेश और राजस्थान को लेकर भी राहुल गांधी की यह सभा अहम मानी जा रही है. बात की जाए राजस्थान के 2018 विधानसभा चुनावों की तो भाजपा को इन आदिवासी क्षेत्रों में बांसवाड़ा की 5 सीटों में से 2 पर, डूंगरपुर की 4 में से 1 ही सीट पर संतुष्ट होना पड़ा. वहीं प्रतापगढ़ में 2 में से एक भी सीट बीजेपी के पास नहीं है. लेकिन कांग्रेस के लिए उदयपुर, चित्तौड़गढ़, पाली, सिरोही में चिंता की स्थिति बनी हुई है क्योकि यहां पर बीजेपी की स्थिति ठीक है.