Malegaon Blast Case Verdict: महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने 17 साल बाद फैसला सुना दिया है. NIA कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और अन्य सहित सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने पीड़ितों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और सभी घायल पीड़ितों को 50,000 रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने फैसले में क्या कहा ?
NIA कोर्ट ने कहा अभियोजन पक्ष ने यह तो साबित कर दिया कि मालेगांव में विस्फोट हुआ था, लेकिन यह साबित नहीं कर पाया कि उस मोटरसाइकिल में बम रखा गया था. श्रीकांत प्रसाद पुरोहित के आवास में विस्फोटकों के भंडारण या संयोजन का कोई सबूत नहीं है. पंचनामा करते समय जांच अधिकारी द्वारा घटनास्थल का कोई स्केच नहीं बनाया गया था. घटनास्थल से कोई फिंगरप्रिंट, डंप डेटा या कुछ भी एकत्र नहीं किया गया था। नमूने दूषित थे, इसलिए रिपोर्ट निर्णायक नहीं हो सकती और विश्वसनीय नहीं हैं. विस्फोट में कथित रूप से शामिल बाइक का चेसिस नंबर स्पष्ट नहीं था. अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि विस्फोट से ठीक पहले यह साध्वी प्रज्ञा के कब्जे में थी,”
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष ने अभिनव भारत संगठन को एक सामान्य संदर्भ के रूप में इस्तेमाल किया था. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि अभिनव भारत के धन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया गया था. साथ ही यह भी कहा कि इस मामले में UAPA लागू नहीं किया जाएगा क्योंकि नियमों के अनुसार मंज़ूरी नहीं ली गई थी. मामले में UAPA के दोनों मंज़ूरी आदेश दोषपूर्ण हैं।”
फैसले पर क्या बोलीं साध्वी प्रज्ञा
NIA कोर्ट के फैसले पर साध्वी प्रज्ञा सिंह ने कहा, “मैंने शुरू से ही कहा था कि जिन्हें भी जांच के लिए बुलाया जाता है, उनके पीछे कोई न कोई आधार ज़रूर होना चाहिए. मुझे जांच के लिए बुलाया गया और मुझे गिरफ़्तार करके प्रताड़ित किया गया. इससे मेरा पूरा जीवन बर्बाद हो गया. मैं एक साधु का जीवन जी रही थी लेकिन मुझ पर आरोप लगाए गए और कोई भी हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ. मैं ज़िंदा हूं क्योंकि मैं एक सन्यासी हूं. उन्होंने साज़िश करके भगवा को बदनाम किया. आज भगवा की जीत हुई है, हिंदुत्व की जीत हुई है और ईश्वर दोषियों को सज़ा देगा. हालांकि, भारत और भगवा को बदनाम करने वालों को आपने ग़लत साबित नहीं किया है.”
मालेगांव ब्लास्ट में मारे गए थे 6 लोग
बता दें कि 29 सितंबर, 2008 को नासिक के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से 6 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. पूरे मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी. हालांकि साल 2011 में केस एनआईए को सौंप दिया गया था, लगभग 5 सालों की जांच के बाद 2016 में एनआईए ने चार्जशीट दायर की थी.
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