इंदौर, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने एक तलाकशुदा महिला द्वारा अपने पूर्व पति और बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ ‘‘अनैतिक मुकदमेबाजी’’ जारी रखकर अदालत का वक्त बर्बाद किए जाने पर नाराजगी जताई है और चेतावनी के तौर पर 1 लाख रुपये का हर्जाना भी लगाया.
1 लाख रुपए का हर्जाना
अदालत ने पाया कि इंदौर निवासी महिला ने आपसी सहमति वाले तलाक का वचन भंग करते हुए अपने पूर्व पति और उसके बुजुर्ग माता-पिता के खिलाफ पुराना मामला वापस नहीं लिया और कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया. अदालत ने दहेज के लिए उत्पीड़न, मारपीट और महिला की रजामंदी के बिना गर्भपात सरीखे आरोपों में दर्ज मामले को रद्द करते हुए तलाकशुदा महिला को आदेश दिया है कि वह अपने पूर्व पति को 1 लाख रुपये चुकाए.
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए की टिप्पणी
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने कहा,1 लाख रुपये चुकाए जाने का यह आदेश केवल अनैतिक मुकदमेबाजों को चेतावनी देने के लिए जारी किया गया है ताकि वे अदालतों की आंखों में धूल न झोंक सकें.अदालतें गंभीर मुकदमे सुनती हैं और उनका कीमती समय किसी भी तरह बर्बाद करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.”एकल पीठ ने महिला के पूर्व पति और उसके बुजुर्ग माता-पिता की दायर याचिका 1 मार्च को मंजूर करते हुए करते हुए अपने आदेश में यह टिप्पणी की.
अदालत ने रिकॉर्ड के हवाले से कहा कि याचिकाकर्ता पुरुष और प्रतिवादी महिला का दो फरवरी 2023 को आपसी सहमति से तलाक हो चुका है और इसके एवज में महिला को उसके पूर्व पति द्वारा 50 लाख रुपये भी दिए जा चुके हैं.उच्च न्यायालय ने कहा कि तलाकनामे में इस वचन का स्पष्ट उल्लेख है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमों को वापस लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं, इसके बावजूद तलाकशुदा महिला ने अपने पूर्व पति और उसके बुजुर्ग माता-पिता के खिलाफ 2018 में दर्ज कराया गया आपराधिक मामला वापस लेने के लिए कोई प्रयास नहीं किया.
महिला ने यह मामला अपने पति से आपसी सहमति के आधार पर तलाक लेने के 5 साल पहले इंदौर के विजय नगर पुलिस थाने में दर्ज कराया था.दोनों की शादी वर्ष 2000 में हुई थी और उनकी 20 साल की बेटी भी है,जो तलाक के बाद अपने पिता के साथ रह रही है.