उत्तरकाशी। उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव अभियान के 16वें दिन मंगलवार को मलबे को ‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक से साफ करने के लिए विशेषज्ञ मौके पर पहुंच गए जबकि वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के लिए सुरंग के ऊपर से की जा रही लंबवत ‘ड्रिलिंग’ भी 36 मीटर तक पहुंच गयी । अधिकारियों ने यहां बताया कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही इस सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में शेष बचे 10-12 मीटर के मलबे को साफ करने के काम में ‘रैट होल माइनिंग’ के इन विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।
इससे पहले सुरंग में क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ कर रही 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन के शुक्रवार को मलबे में फंस जाने के बाद बचाव दलों ने वैकल्पिक रास्ता बनाने के लिए रविवार से लंबवत ‘ड्रिलिंग’ शुरू की ।
बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने सिलक्यारा में मीडिया को बताया कि तड़के तक मलबे के अंदर फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को काटकर निकाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन का हेड (सिरा) भी पाइप के अंदर फंसा हुआ था और अब उसे भी हटा दिया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मशीन के ‘हेड’ को निकालने के लिए कुल 1.9 मीटर पाइप को भी काटना पड़ा ।
खैरवाल ने बताया कि उसके बाद सुरंग के मलबे के अंदर बारी-बारी से 220 मिमी, 500 मिमी और 200 मिमी लंबी यानी कुल 0.9 मीटर लंबी पाइप डाली गई।
उन्होंने बताया कि काम शुरू हो गया है, लेकिन इसके पूरा होने की समयसीमा नहीं बतायी जा सकती। उन्होंने कहा कि भगवान से प्रार्थना है कि कठिनाइयां न आएं ताकि जल्द से जल्द श्रमिकों तक पहुंचा जा सके।
उन्होंने कहा कि ‘रैट माइनिंग’ तकनीक से हाथ से मलबा साफ किया जाएगा, लेकिन अगर कहीं सरिया या गर्डर या अन्य प्रकार की मुश्किलें आयीं तो मशीन से उसे काटा जाएगा और फिर मशीन से पाइपों को अंदर डाला जाएगा।
सुरंग बना रही राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने कहा कि मलबे में 0.9 मीटर लंबी पाइप डाली जा चुकी है जबकि एक मीटर पाइप और डालकर पहले वाली लंबाई प्राप्त की जाएगी ।
उन्होंने कहा कि इसके बाद मलबे में छह मीटर लंबी पाइप डाली जाएगी जो कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसकी नियमित समीक्षा की जा रही है और सभी प्रकार के जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि जल्द से जल्द मलबे को पार किया जा सके।
अहमद ने बताया कि सतलुज जलविद्युत निगम द्वारा सुरंग के शीर्ष से की जा रही लंबवत ‘ड्रिलिंग’ का काम बहुत अच्छे से चल रहा है और अब तक 36 मीटर ‘ड्रिलिंग’ हो चुकी है। उन्होंने बताया कि श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर तक ‘ड्रिलिंग’ की जानी है जिसमें से 50 मीटर तक ‘ड्रिलिंग’ करना शेष है।
एक अधिकारी ने बताया कि इसके तहत 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को लंबवत तरीके से सुरंग के शीर्ष से नीचे की ओर डाला जाएगा।
उधर, ‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक की विशेषज्ञ दो टीम मौके पर पहुंच गयी हैं । रैट होल माइनिंग एक विवादास्पद और खतरनाक प्रक्रिया है जिनमें छोटे-छोटे समूहों में खननकर्मी नीचे तंग गडढों में थोड़ी मात्रा में कोयला खोदने के लिए जाते हैं ।
खैरवाल ने स्पष्ट किया कि मौके पर पहुंचे व्यक्ति ‘रैट होल’ खननकर्मी नहीं है बल्कि ये लोग इस तकनीक में माहिर हैं ।
इन लोगों को दो या तीन लोगों की टीम में विभाजित किया जाएगा । प्रत्येक टीम संक्षिप्त अवधि के लिए एस्केप पैसेज में बिछाए गए स्टील पाइप में जाएगी ।
‘रैट होल’ ड्रिलिंग तकनीक के विशेषज्ञ राजपूत राय ने बताया कि इस दौरान एक व्यक्ति ड्रिलिंग करेगा, दूसरा मलबे को इकटठा करेगा और तीसरा मलबे को बाहर निकालने के लिए उसे ट्रॉली पर रखेगा ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रमुख सचिव डॉ. पी के मिश्र ने सोमवार को सिलक्यारा पहुंचकर पिछले दो सप्ताह से फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया।
उन्होंने सुरंग के अंदर चल रहे बचाव कार्य की बारीकियों को समझा और अधिकारियों के साथ ही इस काम में जुटे इंजीनियर और श्रमिकों से बात करके उनका हौसला बढ़ाया।
मिश्र ने अधिकारियों को अंदर फंसे श्रमिकों के साथ राहत बचाव कार्य में जुटे सभी लोगों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए।
श्रमिकों से बातचीत में उन्होंने उनसे अपना ध्यान रखने के लिए कहा तथा उन्हें बताया कि बचाव अभियान में सभी लोग मेहनत कर रहे हैं और कई मोर्चों पर कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि सभी को जल्द बाहर निकालने की कोशिश जारी है।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसके कारण उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।