जयपुर। देश के कोचिंग हब कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या करने के बढ़ते मामलों के बीच राजस्थान सरकार ने उनके कल्याण के मद्देनजर कई दिशा निर्देश जारी किए हैं जिनके तहत नौंवी कक्षा से पहले छात्रों को कोचिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा और छात्रों के मानसिक दबाव को कम करने की जिम्मेदारी कोचिंग संस्थानों की होगी. राजस्थान सरकार ने कोटा सहित राज्य के अनेक शहरों में चल रहे कोचिंग सेंटरों के नियमन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं जिसमें छात्रों को डेढ़ दिन का साप्ताहिक अवकाश देना व बच्चों और शिक्षकों का अनुपात सही रखना शामिल है.
15 सदस्यीय समिति की गठित
राज्य सरकार ने इस संबंध में शिक्षा सचिव भवानी सिंह देथा की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय समिति गठित की थी। इसके कुछ दिनों बाद नौ पन्नों के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। समिति का गठन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थानों के केंद्र कोटा शहर में विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों के बाद कोचिंग संस्थानों और अन्य हितधारकों के परामर्श से किया गया था. इन दिशा निर्देश में मुख्यतः इस बात पर बल दिया गया की नौवीं क्लास से पहले कोचिंग संस्थानों में प्रवेश न दिया जाए। साथ ही ‘असेसमेंट रिजल्ट’ सार्वजनिक नहीं करने, डेढ़ दिन का साप्ताहिक अवकाश देने, बच्चों और शिक्षकों का अनुपात सही करने, ‘इजी एग्जिट’ एवं हेल्पलाइन सेवाएं तथा निगरानी व्यवस्था को 24 घंटे सुचारू रूप से चलाये जाने की व्यवस्था के निर्देश दिए गए.
इसके अलावा संस्थानों द्वारा रिफंड पॉलिसी को अपनाने पर भी जोर दिया गया। काउंसलिंग एवं ट्रेनिंग संबंधित दिशा निर्देश भी जारी किए गए। छात्रों पर मानसिक दबाव को कम करने के लिए भी कई उपाय सुझाए गए हैं. सरकार की ओर से जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक को भी जिले के कोचिंग संस्थानों में राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश के कोचिंग हब कहे जाने वाले कोटा शहर में इस साल 23 छात्रों ने आत्महत्या की है, जो अब तक की सबसे ज्यादा संख्या है. पिछले साल यह आंकड़ा 15 था. राज्य में चल रहे कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों में तनाव कम करने एवं उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए दिशा निर्देश 2023 की अनुपालन में एक उच्चस्तरीय वर्चुअल बैठक गुरुवार को मुख्य सचिव उषा शर्मा की अध्यक्षता में हुई. बैठक में मुख्य सचिव ने कहा कि बच्चों में पढ़ाई के अवांछित तनाव को कम करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि वह हताश और निराश होकर गलत कदम न उठाएं.
घटना को रोकने की जिम्मेदारी कोचिंग संचालको की
सरकारी बयान के अनुसार, शर्मा ने कहा कि पढ़ने वाले बच्चों में इस तरह की किसी भी अप्रिय घटना को रोकने की जिम्मेदारी कोचिंग संचालकों की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गंभीरता से इस दिशा में प्रयास किया जा रहे हैं. उन्होंने हर 10 दिन में इस संबंध में बैठक आयोजित करने के निर्देश भी दिए. मुख्य सचिव ने जिला कलेक्टर और जिला एसपी को भी जिले के कोचिंग संस्थानों में राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. बैठक में प्रमुख शासन सचिव (उच्च एवं तकनीकी शिक्षा) भवानी सिंह देथा ने बताया कि विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए समिति द्वारा संबंधित भागीदारों जैसे कोचिंग संचालकों, अभिभावकों, मनोवैज्ञानिक सलाहकारों,शिक्षाविदों आदि से विस्तृत विचार विमर्श कर सुझाव लिए गए. उन्होंने बताया कि प्राप्त सुझावों का गहन अध्ययन एवं विश्लेषण करने के बाद रिपोर्ट राज्य सरकार को पेश कर दी गई है. इसके अनुसार बैठक में कोचिंग संचालकों द्वारा सभी दिशा निर्देशों की पूरी तरह पालना सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया.