एमएसपी, कर्ज माफी एवं अन्य मांगों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन से जहां आम आदमी प्रभावित है. वहीं, पंजाब का उद्योग जगत भी इससे खासा प्रभावित है. उद्यमियों का दावा है कि आंदोलन के कारण एक तरफ कच्चे माल की सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है, वहीं दूसरे राज्यों से खरीदार भी पंजाब का रुख नहीं कर रहे हैं। नतीजतन नए ऑर्डर मिलने में भी दिक्कत आ रही है और पहले से लिए ऑर्डर भी कैंसिल हो रहे हैं.
इस आंदोलन के चलते उद्योगों को अब तक दो हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान उद्यमी लगा रहे हैं.इसके अलावा माल भाड़े में भी दस फीसदी तक का इजाफा देखा जा रहा है.उधर, चालू वित्त वर्ष खत्म होने की कगार पर है, ऐसे में उद्यमियों के लिए निर्यात टारगेट को पूरा करना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.उद्यमियों का मानना है कि यदि आंदोलन लंबा चलता है, तो सूबे की इंडस्ट्री बेपटरी हो सकती है.उद्यमियों ने सरकार से भी गुहार लगाई है कि आंदोलन को खत्म कराने के लिए ठोस उपाय किए जाएं.
अंबाला: किसान आंदोलन पार्ट- 2 का असर अब पूरे प्रदेश पर पड़ने लगा है. मुख्य मार्ग बंद होने से हर वर्ग के लोगों को परेशानी हो रही है. अब इस आंदोलन का असर जनता की जेब पर भी पड़ने लग गया है. अंबाला कपड़ा मार्केट के व्यापारी भी व्यापार न चलने की वजह से परेशान हो गए हैं. व्यापारियों का कहना है की रोजाना उन्हें लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है. ऑनलाइन पेमेंट नहीं चल रही और रास्ते बंद होने की वजह से पंजाब हिमाचल और हरियाणा के कई जिलों से ग्राहक नहीं आ पा रहे हैं.
पंजाब की आर्थिक राजधानी लुधियाना माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज का गढ़ है. यहां पर एक लाख से अधिक छोटी बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं.लुधियाना में प्रमुख तौर पर हौजरी, टेक्सटाइल एवं इंजीनियरिंग उद्योग का दबदबा है. इंजीनियरिंग में सेकेंडरी स्टील निर्माता, साइकिल एवं साइकिल पार्ट्स, हैंड टूल्स, मशीन टूल्स, सिलाई मशीन, फास्टनर, ऑटो पार्ट्स, डीजल इंजन पार्ट्स इत्यादि प्रमुख हैं. होजरी टेक्सटाइल में रेडीमेड गारमेंट्स, स्पीनिंग, डाइंग, निटिंग इत्यादि हैं.
कच्चे माल की इनवेंट्री खत्म हो रही है: जिंदल
ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बदीश जिंदल कहते हैं कि किसान आंदोलन सूबे के उद्योगों पर विपरीत असर डाल रहा है.सूबे में रोजाना पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का औद्योगिक उत्पादन होता है. राज्य की सीमाओं पर दिक्कत के कारण ऑटोमोबाइल निर्माता ऑर्डर कैंसिल करने लगे हैं. सूबे में प्रति माह तीन लाख टन स्टील आता है.इसमें से तीस फीसद सड़क मार्ग से पंजाब आता है.इसमें परेशानी हो रही है.इसके अलावा केमिकल, यार्न, कॉटन समेत कई तरह का कच्चा माल दूसरे राज्यों से आता है.जिंदल का कहना है कि इंडस्ट्री के पास कच्चे माल की इनवेंट्री खत्म हो रही है.
निर्यात लक्ष्य पूरा करना कठिन हो रहा है: रल्हन
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स ऑर्गेनाइजेशन-फियो के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन कहते हैं कि किसान आंदोलन ने निर्यातकों की भी नींद उड़ा दी है.एक तरफ कच्चा माल वक्त पर नहीं मिल रहा. उधर, माल भाड़ा भी दस फीसद तक बढ़ गया है.वक्त भी अधिक लग रहा है। इन हालात में निर्यात लक्ष्य पूरा करना कठिन हो रहा है.
आंदोलन खत्म हो,उद्योगों को मिले रफ्तार: थापर
निटवियर एंड टेक्सटाइल क्लब के प्रेसिडेंट विनोद थापर का कहना है कि होजरी में समर सीजन पीक पर है। इस बार पिछले साल के मुकाबले ऑर्डर अच्छे मिले थे, लेकिन किसान आंदोलन से सब पानी फेर दिया है. सीमाएं सील होने के कारण दूसरे राज्यों से खरीदार नहीं आ रहे हैं. इससे गणित गड़बड़ा रहा है। हौजरी उद्यमियों में घबराहट का आलम है. ऐसे में सरकार इस आंदोलन को शीघ्र खत्म कराए, ताकि उद्योगों को रफ्तार दी जा सके.