चंडीगढ़, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा सहित कई किसान संगठनों ने रविवार को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की उस महिला कांस्टेबल के समर्थन में मोहाली में मार्च निकाला,जिसने बॉलीवुड अभिनेत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नवनिर्वाचित सांसद कंगना रनौत को कथित तौर पर थप्पड़ मारा था.किसान नेताओं ने मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए और महिला कांस्टेबल कुलविंदर कौर के साथ कोई अन्याय नहीं होना चाहिए.मोहाली के गुरुद्वारा अम्ब साहिब से शुरू हुए मार्च के मद्देनजर पर्याप्त सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था.
‘महिला कांस्टेबल के साथ कोई अन्याय नहीं होना चाहिए’
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पत्रकारों से कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और यह पता लगाया जाना चाहिए कि इस घटना का कारण क्या था.उन्होंने कहा कि महिला कांस्टेबल के साथ कोई अन्याय नहीं होना चाहिए.किसान नेताओं ने पंजाब के लोगों के खिलाफ कथित भड़काऊ बयान देने के लिए रनौत पर भी निशाना साधा.
CISF ने दिया है कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश
कौर किसानों के विरोध प्रदर्शन पर रनौत के रुख से नाराज थीं.हवाई अड्डों पर सुरक्षा प्रदान करने वाले CISF ने भी घटना की ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ के आदेश दिए हैं.मोहाली पुलिस ने कौर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 341 (गलत तरीके से रोकने की सजा) के तहत मामला दर्ज किया है.दोनों ही जमानती अपराध हैं.
कंगना ने गुरुवार को एक वीडियो संदेश में कहा था कि चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर सुरक्षा जांच के दौरान CISF की एक कांस्टेबल ने उन्हें थप्पड़ मारा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया.हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से निर्वाचित होने के 2 दिन बाद यह घटना हुई थी.
कंगना ने कहा था,’कांस्टेबल बगल से उनकी ओर आई और उसने मेरे चेहरे पर (थप्पड़) मारा और मुझे गालियां देनी शुरू कर दी.मैंने उससे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया तो उसने कहा कि वह किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन करती है.’नव निर्वाचित सांसद ने कहा था,’मैं सुरक्षित हूं, लेकिन मेरी चिंता यह है कि पंजाब में आतंकवाद और उग्रवाद बढ़ रहा है.’
सोशल मीडिया पर वायरल एक अन्य वीडियो में घटना के बाद कांस्टेबल को लोगों से बात करते देखा गया था.कांस्टेबल को वीडियो में यह कहते सुना जा सकता है,’कंगना ने (पहले) बयान दिया था कि किसान दिल्ली में इसलिए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, क्योंकि उन्हें 100 या 200 रुपये का भुगतान किया गया था. उस समय, मेरी मां भी प्रदर्शनकारियों में शामिल थीं.’