CJI Suryakant Oath Ceremony: जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें प्रधान न्यायाधीश बन गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई. इस दौरान उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन, पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मौजूद रहे. जस्टिस सूर्यकांत ने जस्टिस बीआर गवई की जगह ली है. जिनका सीजेआई के तौर पर कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को समाप्त हो गया. जस्टिस सूर्यकांत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी फैसले, बिहार मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण, पेगासस स्पाइवेयर मामला सहित कई ऐतिहासिक फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे हैं.
#WATCH | दिल्ली: जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई।
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9 फरवरी 2027 को होंगे रिटायर
गत 30 अक्टूबर को जस्टिस सूर्यकांत को अगले प्रधान न्यायधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और वह इस पद पर लगभग 15 महीने तक रहेंगे. वह 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे. हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी, 1962 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे न्यायमूर्ति सूर्यकांत एक छोटे शहर के वकील से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे हैं, जहां वह राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों के कई फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे. उन्हें 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर में ‘प्रथम श्रेणी में प्रथम’ स्थान प्राप्त करने का गौरव भी प्राप्त है.
दिल्ली: जस्टिस सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई।
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कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जाने जाते हैं जस्टिस सूर्यकांत
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कई उल्लेखनीय फैसले लिखने वाले न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 5 अक्टूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल अनुच्छेद 370 को हटाने से जुड़े फैसले, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता के अधिकारों पर फैसले देने के लिए जाना जाता है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों से निपटने में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों से संबंधित राष्ट्रपति के परामर्श पर हाल में सुनवाई करने वाली न्यायालय की पीठ में शामिल हैं. इस फैसले का बेसब्री से इंतज़ार है, जिसका असर सभी राज्यों पर पड़ सकता है.
वह उस पीठ का हिस्सा थे जिसने औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून को स्थगित रखा था, तथा निर्देश दिया था कि सरकार के समीक्षा करने तक इसके तहत कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने चुनाव आयोग से बिहार में मसौदा मतदाता सूची से बाहर रखे गए 65 लाख मतदाताओं का ब्योरा सार्वजनिक करने को भी कहा था. उन्होंने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी राज्य में मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था.
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