Sunday, November 24, 2024
Homeजयपुरन्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने राजस्थान में उद्घाटन कार्यक्रम को किया संबोधित, महिलाओं के...

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने राजस्थान में उद्घाटन कार्यक्रम को किया संबोधित, महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर भी जताई चिंता…

जयपुर। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कुछ उच्च न्यायालयों द्वारा अपनी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का लिंक उपलब्ध कराने के लिए शर्तें लगाए जाने की ओर इशारा करते हुए शनिवार को कहा कि प्रौद्योगिकी-अनुकूल विधिक प्रणालियों को अपनाने के साथ साथ प्रत्येक न्यायाधीश, बार के सदस्य, रजिस्ट्री अधिकारी और प्रशासनिक कर्मचारियों की मानसिकता में बदलाव होना भी जरूरी है।  

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रौद्योगिकी समावेशन का स्रोत है और इसका प्रतिरोध आमतौर पर यथास्थिति बिगड़ने के अज्ञात डर से आंतरिक जड़ता के कारण पैदा होता है। प्रौद्योगिकी के बारे में भ्रामक आशंकाओं का प्रतिकार तभी किया जा सकता है जब कानूनी बिरादरी के अधिक से अधिक सदस्य प्रौद्योगिकी को अपनाएं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ यहां राजस्थान उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा प्रौद्योगिकी अनुकूल विधिक प्रणाली की दिशा में हमारे कदम को प्रत्येक न्यायाधीश, बार के प्रत्येक सदस्य, रजिस्ट्री अधिकारियों और प्रशासनिक कर्मचारियों की मानसिकता में बदलाव का साथ मिलना चाहिए। उन्होंने उच्च न्यायालय के पेपरलेस कोर्ट और टेलीग्राम चैनल की भी शुरुआत की।

प्रधान न्यायाधीश ने अपने संबोधन में कुछ उच्च न्यायालयों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के डिजिटल लिंक तक पहुंच के लिए 3 दिन पहले आवेदन करने और कुछ अदालतों द्वारा केवल 65 साल उम्र के वादी को ही उपलब्‍ध कराए जाने की शर्त जैसे मामलों का जिक्र किया। इसका जिक्र करते हुए उन्होंने कहा प्रौद्योगिकी केवल बुजुर्गों के लिए है… युवाओं के लिए नहीं। इस तरह की मानसिकता को बदलना होगा। देशभर के अदालत कक्षों को वकीलों और वादियों के लिए सुलभ बनाने की हमारी क्रांति में हमें किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। प्रौद्योगिकी समावेशन का एक स्रोत है। प्रौद्योगिकी का प्रतिरोध अक्सर यथास्थिति बिगड़ने और अज्ञात के भय से उत्पन्न होता है। प्रौद्योगिकी के बारे में भ्रामक आशंकाओं का प्रतिकार केवल तभी किया जा सकता है जब कानूनी बिरादरी के अधिक से अधिक सदस्य प्रौद्योगिकी को अपनाएं।

उन्‍होंने कहा इसकी अगुवाई कौन कर रहा है? उच्च न्यायालयों व उच्चतम न्यायालय के हमारे पूर्व न्यायाधीश क्योंकि कोविड-19 के बाद अधिकांश मध्यस्थता ऑनलाइन माध्यम से हो रही हैं। अगर हमारे वरिष्ठ ऐसा कर सकते हैं तो हम उच्च न्यायालयों में बदलाव के प्रति इतने प्रतिरोधी क्यों हैं? प्रतिरोध की ये प्रवृत्ति बदलनी होगी। उन्होंने डिजिटल युग में बड़े हुए कानूनी बिरादरी के युवा सदस्यों से आग्रह किया कि वे उन लोगों की धैर्यपूर्वक सहायता करके इन आशंकाओं को दूर करने की जिम्मेदारी लें, जो धीरे-धीरे इस बदलाव को अपना रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कार्यवाही की स्ट्रीमिंग, हाइब्रिड-हियरिंग, ई-फाइलिंग और ई-सेवा सहित प्रौद्योगिकी का उपयोग कोई कोविड-19 महामारी जैसी आपात स्थितियों के लिए ही आरक्षित नहीं है। यह अब एक विकल्प नहीं बल्कि जरूरत बन गई है। उन्होंने न्यायाधीशों और बार के प्रैक्टिस कर रहे सदस्यों में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर भी चिंता जताई।

Mamta Berwa
Mamta Berwa
JOURNALIST
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments