नई दिल्ली, राजनयिक से नेता बने एस. जयशंकर ने मंगलवार को लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए विदेश मंत्री के रूप में पदभार संभाला.जयशंकर ( 69) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उन वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें पिछली सरकार में संभाले गए मंत्रालयों की ही जिम्मेदारी दी गई है.राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी और निर्मला सीतारमण सहित कई वरिष्ठ नेताओं को फिर से वही मंत्रालय सौंपा गया है, जो पिछली सरकार में उनके पास था,जयशंकर ने ‘एक्स’ पर कहा, ”विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला.मुझे यह जिम्मेदारी सौंपने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद.’
विदेश मंत्री के रूप में वर्ष 2019 से कार्यभार संभालने वाले जयशंकर ने वैश्विक मंच पर कई जटिल मुद्दों को लेकर भारत के रुख को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अपनी क्षमता का आत्मविश्वास के साथ प्रदर्शन किया है.जयशंकर ने यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर रूस से कच्चे तेल की खरीद पर पश्चिमी देशों की आलोचना को निष्प्रभावी करने से लेकर चीन से निपटने के लिए एक दृढ़ नीति- दृष्टिकोण तैयार करने तक प्रधानमंत्री मोदी की पिछली सरकार में अच्छा काम करने वाले अग्रणी मंत्रियों में से एक के रूप में उभरे।
उन्हें विदेश नीति के मामलों को खासकर भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान घरेलू पटल पर विमर्श के लिए लाने का श्रेय भी दिया जाता है.वर्तमान में जयशंकर गुजरात से राज्यसभा के सदस्य हैं.जयशंकर ने (2015-18) तक भारत के विदेश सचिव, अमेरिका में राजदूत (2013-15), चीन में (2009-2013) और चेक गणराज्य में राजदूत (2000-2004) के रूप में कार्य किया है.वह सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त (2007-2009) भी रहे.जयशंकर ने मॉस्को, कोलंबो, बुडापेस्ट और तोक्यो के दूतावासों के साथ-साथ विदेश मंत्रालय और राष्ट्रपति सचिवालय में अन्य राजनयिक पदों पर भी काम किया है.
चीन और पाकिस्तान से निपटने का बताया प्लान
अगले 5 वर्षों के लिए पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा-“किसी भी देश में और विशेष रूप से लोकतंत्र में, किसी सरकार का लगातार 3 बार निर्वाचित होना बहुत बड़ी बात है.इसलिए दुनिया को यह जरूर महसूस होगा कि आज भारत में काफी राजनीतिक स्थिरता है.जहां तक पाकिस्तान और चीन का सवाल है,उन देशों के साथ रिश्ते भी अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग हैं सीमा मुद्दे और पाकिस्तान के साथ, हम वर्षों पुराने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान ढूंढना चाहेंगे.’