Friday, October 10, 2025
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India Afghanistan Relations : जयशंकर और मुत्ताकी की वार्ता, काबुल में टेक्निकल मिशन को भारतीय दूतावास का दर्जा दिया

भारत ने काबुल स्थित अपने तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की और अफगानिस्तान में विकास कार्यों को दोबारा शुरू करने का संकल्प जताया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबान के सुरक्षा सहयोग की सराहना की और कहा कि दोनों देशों को सीमा-पार आतंकवाद से मिलकर निपटना होगा।

India Afghanistan Relations : नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को काबुल स्थित अपने तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की और अफगानिस्तान में अपने विकास कार्यों को फिर से शुरू करने का संकल्प जताया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाने के लिए अफगानिस्तान में तालिबान के शासन की सराहना भी की।

अफगान हमारे लिए काफी अहम

जयशंकर ने यह घोषणा अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के साथ व्यापक वार्ता के दौरान की जो छह दिन की यात्रा पर बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली पहुंचे। अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा सत्ता हथियाने के बाद भारत ने काबुल स्थित अपने दूतावास से अधिकारियों को वापस बुला लिया था। जून 2022 में, भारत ने एक ‘तकनीकी टीम’ तैनात करके अफगानिस्तान की राजधानी में अपनी राजनयिक उपस्थिति फिर से स्थापित की। बैठक में अपने उद्घाटन भाषण में जयशंकर ने सीमापार आतंकवाद को दोनों देशों के लिए साझा खतरा बताते हुए कहा कि भारत और अफगानिस्तान को आतंकवाद से निपटने के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे।

मुत्ताकी ने भारत को आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान किसी भी तत्व को अपनी जमीन का इस्तेमाल नई दिल्ली के हितों के खिलाफ नहीं करने देगा और उन्होंने दाएश आतंकवादी समूह (आईएसआईएस) को इस क्षेत्र के लिए मुख्य चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि काबुल इस संघर्ष में सबसे आगे है। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि अफगान जमीन का इस्तेमाल किसी देख के खिलाफ किसी आतंकी गतिविधि के खिलाफ नहीं होना चाहिए। जयशंकर ने बैठक में मुत्ताकी से कहा, आपकी यात्रा हमारे संबंधों को आगे बढ़ाने और भारत और अफगानिस्तान के बीच स्थायी मित्रता की पुष्टि करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, एक निकटवर्ती पड़ोसी और अफगानिस्तान के लोगों के शुभचिंतक के रूप में, भारत आपके विकास और प्रगति में गहरी रुचि रखता है।

भारत का काबुल में दूतावास का दर्जा देने का फैसला

जयशंकर ने यह भी घोषणा की कि अफगानिस्तान में कई भारतीय परियोजनाओं को देखने वाली भारत की दीर्घकालिक साझेदारी का नवीनीकरण हुआ है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान दोनों की विकास और समृद्धि के प्रति समान प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा, हालांकि, हमारे दोनों देशों के सामने मौजूद सीमा-पार आतंकवाद की साझा चुनौती से ये प्रयास खतरे में पड़ सकते हैं। हमें आतंकवाद के सभी स्वरूपों से निपटने के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे। जयशंकर ने कहा, हम भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति आपकी संवेदनशीलता की सराहना करते हैं। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद हमारे साथ आपकी एकजुटता उल्लेखनीय थी। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

भारत के विदेश मंत्री ने कहा, हमारे बीच घनिष्ठ सहयोग आपके राष्ट्रीय विकास के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता और लचीलेपन में भी योगदान देता है। इसे और मज़बूत करने के लिए, मुझे आज काबुल स्थित भारत के तकनीकी मिशन को भारतीय दूतावास का दर्जा देने की घोषणा करते हुए प्रसन्नता हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत छह नई परियोजनाओं पर प्रतिबद्धता के लिए तैयार है जिनकी जानकारी जल्द दी जा सकती है।जयशंकर ने कहा, 20 एम्बुलेंस का उपहार सद्भावना का एक और संकेत है और मैं प्रतीकात्मक कदम के रूप में उनमें से पांच आपको व्यक्तिगत रूप से सौंपना चाहूंगा।

जयशंकर ने की काबुल की सराहना

जयशंकर ने अफगानिस्तान में खनन के अवसरों का पता लगाने के लिए भारतीय कंपनियों को आमंत्रित करने के लिए काबुल की सराहना की और कहा कि इस प्रस्ताव पर आगे चर्चा की जा सकती है। उन्होंने कहा, व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने में हमारी साझा रुचि है। मुझे काबुल और नई दिल्ली के बीच अतिरिक्त उड़ानें शुरू होने पर खुशी है। अपनी टिप्पणी में, जयशंकर ने ‘जबरन वापस भेजे गए’ अफगान शरणार्थियों की दुर्दशा को गहरी चिंता का विषय बताया और कहा कि उनकी गरिमा और आजीविका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, भारत उनके लिए आवास निर्माण में मदद करने और उनके जीवन के पुनर्निर्माण के लिए भौतिक सहायता प्रदान करना जारी रखने के लिए सहमत है।

अपने भाषण में, मुत्ताकी ने भारत को इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश बताया और कहा कि भारत हमेशा अफगान लोगों के साथ खड़ा रहा है और कई क्षेत्रों में उनकी सहायता की है। उन्होंने कहा, हम किसी भी (तत्व) को किसी को धमकाने या अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ करने की इजाजत नहीं देंगे। दाएश इस क्षेत्र के लिए एक चुनौती है और अफगानिस्तान इस संघर्ष में सबसे आगे है। मुत्ताकी ने कहा, सौभाग्य से, इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान, उसकी सेनाओं और उसके मजबूत संघर्ष ने उसे (दाएश को) अफगानिस्तान से मिटा दिया है। हमारे क्षेत्र की जरूरत है कि हम इस खतरे का मिलकर मुकाबला करें और यह दोनों देशों की साझा समृद्धि के लिए ज़रूरी है।

Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://jagoindiajago.news/
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