अमित सिंह लाइव रिपोर्ट
देश-विदेश में अपनी रंगाई-छपाई को प्रसिद्ध सांगा बाबा की नगरी सांगानेर में वर्षों से चल रही समस्याओं के समाधान के लिए आश्वासन तो दशकों से दिए जा रहे हैं, लेकिन हालात नहीं बदले। विधानसभा चुनाव के दौरान हर बार यहां के लोग बाजारों में जाम, सीवर और पेयजल की समस्या के बारे में बताते हैं। वोट मांगने वाले चुटकियों में इनके हल की बात करते हैं। लेकिन समस्याएं कम होने के बजाय बढ़ती जा रही हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी इन्हीं समस्याओं के समाधान को लेकर दावे तो कर रहे हैं, पर त्रस्त जनता क्या निर्णय करती है ये तो 3 दिसंबर को सामने आएगा।
सड़क, पानी और सीवर पर स्थाई समाधान नहीं
यहां की सबसे बड़ी समस्या पेयजल है। कई हिस्सों में बीसलपुर की पाइपलाइन से पानी नहीं आया। आमजन पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। भूजल पीने योग्य नहीं है। कॉलोनियों के नियमितीकरण की मांग यहां रहने वाले परिवारों की हमेशा से रही है। सांगानेर विधानसभा के आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियां बड़ी संख्या में विकसित हो चुकी हैं। इनको जेडीए ने नियमित नहीं किया, इसलिए यहां कोई विकास नहीं हो सका। किसी तरह बिजली कनेक्शन तो मिल जाता है, लेकिन पेयजल के लिए पाइप लाइन नहीं बिछ सकी।
स्थानीय लोगों ने ही कर रखा अतिक्रमण
मुख्य बाजार अब तक आदर्श बाजार का दर्जा हासिल नहीं कर पाया। इसके लिए यहां के स्थानीय लोग स्वयं जिम्मेदार हैं। उन्होंने मुख्य बाजार में जगह-जगह अतिक्रमण कर रखे हैं। सांगानेर में कहने को तो दो व्यापार महासंघ हैं। लेकिन, किसी ने भी इसके खिलाफ कोई पुख्ता कार्रवाई करने के लिए आवाज नहीं उठाई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बाजार में कारोबार करने वालों ने ही अतिक्रमण कर रखा है। हाल ये हैं कि नाले तक को पाटकर जगह रोक रखी है।
प्रदूषित हवा में जीने को मजबूर
क्षेत्र में रंगाई-छपाई की करीब 900 फैक्ट्रियां हैं। इनके कारण बढ़ते प्रदूषण और बिगड़ते भूजल ने क्षेत्र के लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ा दी हैं। लोग जल उपचार संयंत्र स्थापित करने और प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करते रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि शाम को कोई बाहर नहीं निकल सकता क्योंकि हवा प्रदूषित है। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों के बारे में सभी जानते हैं लेकिन उन्हें संरक्षण प्राप्त है। इनके कारण जल प्रदूषित हो रहा है। स्थानीय पार्षदों भी इन समस्याओं से निपटने में विफल रहे तो लोगों ने अपने दम पर सांगानेर नागरिक संस्थान की स्थापना की। समूह नागरिक मुद्दों से निपटता है और सार्वजनिक समस्याओं का समाधान की कोशिश करता है।
ब्राह्मण बाहुल्य वाली सीट पर कांटे की टक्कर
सांगानेर विधानसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है। ब्राह्मण बाहुल्य वाली इस सीट पर जीत का मार्जिन खूब रहता है इसलिए यह सीट बहुत खास मानी जाती है। राजस्थान में 25 नवंबर को वोटिंग होगी। इस सीट पर कांग्रेस ने पिछली बार हार चुके पुष्पेंद्र भारद्वाज को मैदान में फिर से उतारा है तो भारतीय जनता पार्टी ने निवर्तमान विधायक अशोक लाहौटी का टिकट काटकर नए चेहरे भजनलाल शर्मा पर दाव खेला है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अशोक लाहोटी ने कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को 35,405 मतों के अंतर से मात दी थी। भाजपा के लिए सुरक्षित समझी जाने वाली इस सीट पर राजनीति के जानकार इस बार कांटे की टक्कर मान रहे हैं। इसका कारण वे यह बताते हैं कि पुष्पेन्द्र भारद्वाज पिछली हार के बाद भी लगातार सक्रिय रहे वहीं भजनलाल को कुछ लोग बाहरी बता रहे हैं। लेकिन शहरी वोटर ज्यादातर पार्टी को वोट करते हैं। यदि यही ट्रेंड रहा तो इस सीट से भाजपा को परास्त करना कांग्रेस पार्टी के लिए आसान नहीं है। सांगानेर सीट में अभी करीब 3,50,000 वोटर्स हैं, जिसमें सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं, जो 75,000 के करीब हैं। जबकि वैश्य समाज के करीब 25,000 मतदाता हैं। माली समाज के 25,000, एससी-एसटी के 22,000 वोट हैं। जबकि मुस्लिम समाज के 20,000, जाट समाज के करीब 18,000 वोटर्स हैं। इनके अलावा 7,000 यादव, 4,000 गुर्जर और 15,000 अन्य जातियों के मतदाता यहां निवास करते हैं।