India America Relations: रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर अमेरिका की ओर से भारत की आलोचना के बीच, भारतीय सेना ने मंगलवार को अगस्त 1971 को प्रकाशित एक समाचार लेख को सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया है. जिसमें 1954 से पाकिस्तान को हथियार देने में अमेरिका की भूमिका को उजागर किया गया है.
सेना ने अमेरिका को याद दिलाया अतीत
सेना की पूर्वी कमान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर 5 अगस्त 1971 को अखबार में छपे लेख को साझा किया है. पोस्ट में हैशटैग भारतीयसेना, पूर्वीकमान, विजयवर्ष, ‘लिबरेशनऑफबांग्लादेश’ और ‘मीडियाहाइलाइट्स’ के साथ ही इसमें Know Facts (तथ्यजानें) हैशटैग के साथ ‘इस दिन उस वर्ष’ युद्ध की तैयारी – 05 अगस्त 1971 का भी उल्लेख किया गया है.
#IndianArmy#EasternCommand#VijayVarsh #LiberationOfBangladesh #MediaHighlights
— EasternCommand_IA (@easterncomd) August 5, 2025
"This Day That Year" Build Up of War – 05 Aug 1971 #KnowFacts.
"𝑼.𝑺 𝑨𝑹𝑴𝑺 𝑾𝑶𝑹𝑻𝑯 $2 𝑩𝑰𝑳𝑳𝑰𝑶𝑵 𝑺𝑯𝑰𝑷𝑷𝑬𝑫 𝑻𝑶 𝑷𝑨𝑲𝑰𝑺𝑻𝑨𝑵 𝑺𝑰𝑵𝑪𝑬 '54"@adgpi@SpokespersonMoD… pic.twitter.com/wO9jiLlLQf
पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराने में अमेरिका की भूमिका बताई
यह समाचार 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से कुछ महीने पहले प्रकाशित हुआ था. युद्ध के परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ था. इस खबर में तत्कालीन समय से पिछले लगभग 2 दशकों में पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराने में अमेरिका की भूमिका के बारे में बताया गया था. इसका शीर्षक था, ‘‘यूएस आर्म्स वर्थ डॉलर2 बिलियन शिप्ड टू पाकिस्तान सिंस 54’ यानी ‘1954 से अब तक 2 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी हथियार पाकिस्तान भेजे गए हैं.’ खबर में तत्कालीन रक्षा उत्पादन मंत्री वी.सी. शुक्ला का हवाला दिया गया है, जिन्होंने उस अवधि के दौरान आपूर्ति किए गए हथियारों के अनुमानित मूल्य के बारे में राज्यसभा को बताया था.
भारत-अमेरिका रिश्तों में तनाव
सोशल मीडिया पर यह पोस्ट नई दिल्ली द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने पर वॉशिंगटन की बढ़ती आलोचना के बीच आया है. भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद के लिए नई दिल्ली को ‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’ तरीके से निशाना बनाने को लेकर सोमवार को अमेरिका और यूरोपीय संघ पर जोरदार पलटवार किया था.
विदेश मंत्रालय ने ट्रंप की धमकी का दिया जवाब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर और अधिक शुल्क लगाने की धमकी देने के कुछ ही घंटे बाद विदेश मंत्रालय ने मॉस्को के साथ नयी दिल्ली के ऊर्जा संबंधों की आलोचना को खारिज करते हुए एक बयान जारी किया. आलोचना को दृढ़ता से खारिज करते हुए भारत ने इस मुद्दे पर उसे निशाना बनाने में दोहरे मापदंड की ओर इशारा किया और कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ दोनों ही रूस के साथ अपने व्यापारिक संबंध जारी रखे हुए हैं. उसने कहा, ‘हमारे मामले के विपरीत, ऐसा व्यापार कोई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बाध्यता भी नहीं है.’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूरोप-रूस व्यापार में न केवल ऊर्जा, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा एवं इस्पात और मशीनरी एवं परिवहन उपकरण भी शामिल हैं. इसने कहा ‘जहां तक अमेरिका का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, अपने ईवी उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायनों का आयात जारी रखे हुए है.’
‘भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस पृष्ठभूमि में, भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है. किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा. यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा निशाना बनाया गया है.’