मुंबई। मुंबई के ग्रैंड हयात में गुरुवार को इंडियन नेशनल डवलपमेंट अलायंस “इंडिया” की तीसरी बैठक हुई। बैठक में 28 दलों के 63 नेता शामिल हुए। इस दौरान नेताओं ने कहा कि वे देश और संविधान को बचाने साथ आए हैं। भाजपा से निपटने के लिए एक साझा प्रोग्राम तैयार किया जाएगा। बैठक में सभी पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग को जल्द से जल्द निपटाने पर जोर दिया गया। राज्य के स्तर पर सीटों के बंटवारे को जल्दी फाइनल रूप दिए जाने पर भी जोर दिया गया। साथ ही इस पर चर्चा हुई कि जहां सीटों के बंटवारे पर पेंच फंसेगा, वहां माइक्रो लेवल पर मैनेजमेंट की जरूरत होगी। यह बैठक शुक्रवार को भी जारी रहेगी।
बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव ने कहा कि देश की एकता और संप्रभुता को मजबूत रखने की जरूरत है। देश के संविधान और लोकतंत्र को बचाना होगा। मोदी सरकार गरीबी, बेरोजगारी और किसानों के कल्याण के मुद्दे पर फेल रही है। हम साझा प्रोग्राम तैयार कर रहे हैं।
पार्टियों का नहीं, विचारों का गठबंधन
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा, ‘इंडिया’ का मकसद देश को बचाना है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बैठक में भाग लेने वाले दल देश, इसके लोकतंत्र और संविधान के बारे में विचार-विमर्श करेंगे। शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए साथ आए हैं। राजद नेता मनोज झा ने कहा कि यह सिर्फ पार्टियों का गठबंधन नहीं बल्कि विचारों का गठबंधन है। राकांपा की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा, ‘इंडिया’ के सामने मोदी सरकार की नीतियों से हुए नुकसान की भरपाई करने की चुनौती है।
‘इंडिया’ से डरी हुई है भाजपा
आप के नेता राघव चड्ढा ने दावा किया कि भाजपा ‘इंडिया’ से डरी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें ‘इंडिया’ शब्द से नफरत है और एक आतंकवादी संगठन तक से इसका नाम जोड़ रहे हैं। यह केवल घृणा नहीं है, बल्कि इस बात का डर भी है कि गठबंधन सफल हो गया तो क्या होगा।’’ माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि ‘इंडिया’ को लेकर जनता की जो प्रतिक्रिया आई है, उससे प्रधानमंत्री और भाजपा पूरी तरह घबरा गए हैं। उन्होंने कहा कि संविधान को बचाना और संविधान में निहित अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़नी होगी। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा, ‘‘देश को एक सामूहिक नेतृत्व की आवश्यकता है, जो युवाओं और समाज के सभी वर्गों की जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति उत्तरदायी हो। हमें ऐसी सरकार चाहिए जो अपने संवैधानिक दायित्वों के प्रति संवेदनशील हो।’’