Donald Trump Claim On India Russian Oil Purchase: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीद को लेकर अपना दावा दोहराया है. उन्होंने कहा है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद करने पर सहमति जताई है और वह साल के अंत तक लगभग बंद कर देगा. इसके साथ साथ ही ट्रंप ने कहा कि यह एक प्रक्रिया है और इसमें कुछ समय लगेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वह चीन को भी ऐसा करने के लिए राजी करने की कोशिश करेंगे. चीन और भारत रूसी कच्चे तेल के 2 सबसे बड़े खरीदार हैं.
भारत रूस से तेल खरीदना बंद करने जा रहा है: ट्रंप
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं कि भारत ने मुझसे कहा है कि वे (रूसी तेल खरीदना) बंद करने जा रहे हैं. यह एक प्रक्रिया है, आप बस अचानक रुक नहीं सकते. वर्ष के अंत तक, वे इसे लगभग बंद कर देंगे, यानी लगभग 40 प्रतिशत तक कम कर देंगे. भारत बहुत महान है. कल मैंने प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी से बात की. वह शानदार हैं.’
पिछले कुछ दिनों से ट्रंप यह दावा कर रहे हैं कि भारत ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह रूस से तेल आयात में उल्लेखनीय कमी करेगा. अमेरिका के अनुसार, भारत कच्चे तेल की खरीद के माध्यम से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को युद्ध के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है.
50 फीसदी टैरिफ के बाद से भारत-अमेरिकी रिश्तों में तनाव
हाल के दिनों में नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया है क्योंकि ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है, जिसमें रूस से तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है. भारत ने अमेरिकी कदम को अनुचित, अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक बताया है.
चीन और रूस के बीच संबंध थोड़े अलग: ट्रंप
ट्रंप ने कहा कि वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी आगामी बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के तरीकों पर उनसे चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा, ‘मैं उनसे मुख्य रूप से इस बारे में बात करूंगा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को कैसे समाप्त किया जाए, चाहे वह तेल, ऊर्जा या किसी अन्य माध्यम से हो. मुझे लगता है कि वे इसके प्रति काफी सकारात्मक रहेंगे. चीन और रूस के बीच संबंध थोड़े अलग हैं. बीजिंग और मॉस्को के संबंध पहले कभी अच्छे नहीं थे, लेकिन यह स्थिति पूर्ववर्ती अमेरिकी प्रशासनों की नीतियों के कारण बदली है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘चीन की स्थिति थोड़ी अलग है. उनका रूस के साथ थोड़ा अलग रिश्ता है. यह कभी अच्छा नहीं रहा है लेकिन (पूर्व राष्ट्रपति) जो बाइडन और बराक ओबामा की वजह से वे एक साथ आ गए. उन्हें कभी एक नहीं होना चाहिए था. स्वभाव से, चीन और रूस दोस्त नहीं हो सकते. बाइडन और ओबामा ने ऊर्जा और तेल के कारण उन्हें एक साथ आने पर मजबूर किया. अब वे पहले से ज्यादा करीब हैं.’
ट्रंप ने व्यापार नीति का किया बचाव, टैरिफ को बताया सही
ट्रंप इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में होने वाले एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन के दौरान शी जिनपिंग से मिलने वाले हैं. अपनी व्यापार नीति का बचाव करते हुए ट्रंप ने कहा कि शुल्कों (टैरिफ) ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है. उन्होंने कहा, आज हम शुल्कों के कारण एक देश के रूप में बहुत अच्छा कर रहे हैं. दशकों तक शुल्क हमारे खिलाफ इस्तेमाल किए गए और उसने धीरे-धीरे हमारे देश को कमजोर कर दिया. यही वजह है कि हम पर 37 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है. लेकिन अब शुल्कों की वजह से हम एक अमीर देश हैं. हम पहले से कहीं ज्यादा पैसा कमा रहे हैं.’ साथ ही यह भी दावा किया कि शुल्कों ने संघर्षों को रोकने में मदद की है. मैंने 8 युद्धों को रोका. उनमें से 5 या 6 केवल शुल्कों की वजह से रुके.’
भारत पाक सीजफायर के दावे को दोहराया
ट्रंप ने यह दोहराया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य संघर्ष को भी रोकने में मदद की थी. उन्होंने कहा, ‘मैंने दोनों देशों से कहा कि अगर आप लड़ना चाहते हैं, तो ठीक है लेकिन आपको शुल्क देना होगा. दो दिन बाद उन्होंने फोन किया और कहा कि वे अब नहीं लड़ेंगे. अब उनके बीच शांति है.’
हालांकि, भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम समझौता मई में दोनों देशों की सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच प्रत्यक्ष वार्ता के माध्यम से हुआ था तथा इसमें किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं था।