GST : नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने बुधवार को कहा कि तंबाकू और इसके उत्पादों पर उत्पाद शुल्क लगाने से जीएसटी क्षतिपूर्ति कर समाप्त करने के बाद भी कर का बोझ समान रहेगा। लोकसभा में केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 को चर्चा और पारित कराने के लिए पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि चूंकि जीएसटी कानून में अधिकतम कर दर 40 प्रतिशत तय है, इसलिए यदि जीएसटी उपकर हटा दिया जाता है और उत्पाद शुल्क नहीं लगाया जाता है तो तंबाकू पर कुल कर बोझ वर्तमान स्तर से कम हो जाएगा। उन्होंने कहा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि कर बोझ (इंसिडेंस) जीएसटी मुआवजा उपकर के दौरान जितना था, उससे कम न हो, हम यह कर लेकर आ रहे हैं। एक तरह से हम कह रहे हैं कि कर बोझ कम होने से अब सिगरेट सस्ती नहीं होनी चाहिए।
तंबाकू पर 60–70 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव : सीतामरण
विधेयक में प्रस्ताव है कि तंबाकू उत्पादों जैसे सिगरेट, चबाने वाला तंबाकू, सिगार, हुक्का, ज़र्दा और सुगंधित तंबाकू पर लगाए जा रहे जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर को हटाकर उसकी जगह उत्पाद शुल्क लगाया जाए। वर्तमान में तंबाकू पर 28 प्रतिशत जीएसटी के साथ अलग-अलग दरों पर उपकर लगता है। विधेयक में अपरिष्कृत (कच्चे) तंबाकू पर 60–70 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाने का प्रस्ताव है।

सीतारमण ने कहा कि यह विधेयक इसलिए आवश्यक है क्योंकि कोविड के दौरान राज्यों के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए केंद्र द्वारा लिया गया ऋण “कुछ ही हफ्तों” में चुका दिया जाएगा, जिसके बाद मुआवजा उपकर लेना रोक दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “शायद अगले कुछ ही हफ्तों में यह पूरा कर्ज चुकता हो जाएगा। इसलिए केंद्र यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उत्पाद शुल्क फिर से हमारे पास आ जाए ताकि हम यह ड्यूटी लगा सकें।”
एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू करते समय राज्यों को जीएसटी के चलते हुए राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए एक मुआवजा उपकर तंत्र स्थापित किया गया था, जिसकी अवधि प्रारंभ में 5 वर्ष (30 जून 2022 तक) निर्धारित थी। बाद में मुआवजा उपकर की वसूली की अवधि 4 वर्ष बढ़ाकर 31 मार्च 2026 कर दी गई, और इस अवधि में संग्रहित राशि का उपयोग कोविड काल में राज्यों की जीएसटी कमी की भरपाई के लिए केंद्र द्वारा लिए गए 2.69 लाख करोड़ रुपये के ऋण के पुनर्भुगतान में किया जा रहा है।




