Saturday, November 22, 2025
HomePush NotificationDelhi Blast : अल फलाह यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति जवाद अहमद को एमी...

Delhi Blast : अल फलाह यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति जवाद अहमद को एमी हाईकोर्ट से बड़ी राहत, अब घर पर नहीं चलेगा बुलडोजर

फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जवाद अहमद सिद्दीकी के महू स्थित पैतृक मकान पर छावनी परिषद द्वारा अनधिकृत निर्माण हटाने के नोटिस पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी। मकान में रह रहे अब्दुल माजिद ने दावा किया कि यह संपत्ति उन्हें 2021 में ‘हिबानामा’ के तहत दी गई थी।

Delhi Blast : इंदौर। फरीदाबाद के अल-फलाह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जवाद अहमद सिद्दीकी के महू स्थित पैतृक मकान का ‘‘अनधिकृत निर्माण’’ हटाए जाने को लेकर छावनी परिषद के नोटिस के अमल पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने अंतरिम रोक लगा दी है। ‘हिबानामा’ (इस्लामी परंपरा के मुताबिक भेंट स्वरूप किसी व्यक्ति के नाम जायदाद कर देना) के जरिये इस मकान पर मालिकाना हक का दावा करने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर अदालत ने यह आदेश जारी किया। दिल्ली में लाल किला के निकट धीमी गति से चलती कार में हुए विस्फोट की घटना के बाद, अल-फलाह विश्वविद्यालय कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जांच के घेरे में है। दस नवंबर को हुए इस विस्फोट में 15 लोगों की जान चली गई थी।

पैतृक मकान के खिलाफ कार्रवाई पर उच्च न्यायालय की रोक

अधिकारियों के मुताबिक, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जवाद अहमद सिद्दीकी मूल रूप से महू के रहने वाले हैं और उनके पिता हम्माद अहमद लंबे समय तक महू के शहर काजी रहे थे जिनका वर्षों पहले निधन हो चुका है। अधिकारियों ने बताया कि इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर महू की छावनी परिषद के रिकॉर्ड में मुकेरी मोहल्ले का मकान क्रमांक 1371 जवाद अहमद सिद्दीकी के दिवंगत पिता हम्माद अहमद के नाम पर दर्ज है। छावनी परिषद के 19 नवंबर को जारी नोटिस में कहा गया था कि तीन दिन के भीतर इस मकान का ‘‘अनधिकृत निर्माण’’ हटा लिया जाए, अन्यथा परिषद संबद्ध कानूनी प्रावधानों के तहत इस निर्माण को ढहा देगी और इस कार्रवाई का खर्च मकान के कब्जाधारी या संपत्ति के मालिक के वैध वारिसों से वसूला जाएगा।

महू के इस मकान में रह रहे अब्दुल माजिद (59) ने छावनी परिषद के नोटिस को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। खुद को पेशे से किसान बताने वाले माजिद ने याचिका में कहा कि अपने पिता हम्माद अहमद के निधन के बाद यह संपत्ति उन्हें जवाद अहमद सिद्दीकी ने वर्ष 2021 में ‘हिबा’ के तहत दी थी और ‘हिबानामा’ के आधार पर याचिकाकर्ता ही इसका मालिक है। माजिद के वकील अजय बागड़िया ने उच्च न्यायालय में दलीली दी कि छावनी परिषद ने उनके मुवक्किल को सुनवाई का कोई मौका दिए बिना ही नोटिस जारी कर दिया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को सुनवाई का एक अवसर दिया जाना चाहिए। उधर, छावनी परिषद के वकील आशुतोष निमगांवकर ने अदालत में दलील दी कि इस मकान को लेकर पहले भी नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन इनका कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया, इसलिए अब याचिकाकर्ता को जवाब दाखिल करने की मोहलत नहीं दी जानी चाहिए।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर के बाद कहा, नोटिस को देखने से लगता है कि याचिकाकर्ता को हालांकि पहले भी नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन वे लगभग 30 साल पहले 1996/1997 में जारी किए गए थे और उसके बाद अब नोटिस जारी किया गया है। अगर पिछले नोटिस जारी होने के तकरीबन 30 साल बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई की जानी थी, तो उसे सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए था। एकल पीठ ने आदेश में कहा, ‘‘मामले के मौजूदा तथ्यों को देखते हुए निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता 15 दिनों के भीतर सभी जरूरी दस्तावेजों के साथ प्रतिवादियों/सक्षम प्राधिकारी के सामने अपना जवाब दाखिल करे। इसके बाद याचिकाकर्ता को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाएगा और इसके पश्चात मामले में एक तर्कपूर्ण आदेश जारी किया जाएगा।’ उच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह याचिका के गुण-दोष पर कोई राय जताए बगैर इसका निराकरण कर रही है।

Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://jagoindiajago.news/
समाचार लेखन की दुनिया में एक ऐसा नाम जो सटीकता, निष्पक्षता और रचनात्मकता का सुंदर संयोजन प्रस्तुत करता है। हर विषय को गहराई से समझकर उसे आसान और प्रभावशाली अंदाज़ में पाठकों तक पहुँचाना मेरी खासियत है। चाहे वो ब्रेकिंग न्यूज़ हो, सामाजिक मुद्दों पर विश्लेषण या मानवीय कहानियाँ – मेरा उद्देश्य हर खबर को इस तरह पेश करना है कि वह सिर्फ जानकारी न बने बल्कि सोच को भी झकझोर दे। पत्रकारिता के प्रति यह जुनून ही मेरी लेखनी की ताकत है।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine

Most Popular