Sunday, November 24, 2024
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Hemant Soren : ED के समन को सीएम ने दी चुनौती, ED के बुलाने पर भी नहीं हुए पेश

रांची। राज्य के सीएम हेमंत सोरेन ने शनिवार को झारखंड उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करते हुए ईडी के समन को चुनौती दी है. धनशोधन मामले में उनके वकील ने जानकारी देते हुए बताया कि उच्चतम न्यायालय ने 18 सितंबर को धन शोधन से जुड़े कथित मामले में ईडी की ओर से जारी समन के खिलाफ सोरेन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मामले में राहत के लिए सोरेन को झारखंड उच्च न्यायालय का रुख करने की छूट दी. सोरेन के वकील पीयूष चित्रेश ने बताया कि मुख्यमंत्री ने ईडी द्वारा उन्हें जारी समन को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.

ED के बुलाने पर भी पेश नही हुए थे सोरेन

ईडी ने सोरेन को 14 अगस्त को रांची में संघीय एजेंसी के कार्यालय में पेश होने और धन शोधन रोकथाम कानून के तहत बयान दर्ज कराने के लिए समन भेजा था. सोरेन पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देकर कथित रक्षा भूमि घोटाला मामले में भी ईडी के बुलाने पर पेश नहीं हुए थे. ईडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता सोरेन (48) से राज्य में कथित अवैध खनन से जुड़े धन शोधन मामले में पिछले साल 17 नवंबर को नौ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी. केंद्रीय एजेंसी एक दर्जन से अधिक भूमि सौदों की जांच कर रही है, जिनमें रक्षा भूमि से संबंधित एक सौदा भी शामिल है, जिसमें माफिया, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने 1932 की तिथि तक के फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए कथित तौर पर मिलीभगत की थी.

ED ने अब तक किए कई लोग गिरफ्तार

ईडी ने झारखंड में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सोरेन के राजनीतिक सहयोगी पंकज मिश्रा भी शामिल हैं. सोरेन को ईडी ने शुरुआत में तीन नवंबर 2022 को तलब किया था, लेकिन वह सरकारी व्यस्तताओं का हवाला देते हुए पेश नहीं हुए थे. झामुमो नेता ने केंद्रीय जांच एजेंसी को उन्हें गिरफ्तार करने की चुनौती भी दी थी और समन को तीन हफ्ते के लिए टालने का अनुरोध किया था. सत्तारूढ़ झामुमो ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री को राजनीतिक रूप से निशाना बनाया जा रहा है जबकि भारतीय जनता पार्टी ने पिछले सप्ताह कहा था कि सोरेन ने राज्य में ‘‘जिस तरह का भ्रष्टाचार’’ किया है, उसे देखते हुए उन्हें किसी भी अदालत से कोई राहत नहीं मिलेगी और उन्हें आखिरकार प्रवर्तन निदेशालय की जांच का सामना करना पड़ेगा.

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