नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उस याचिका पर 20 मई तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा,जिसमें मौजूदा लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए धनशोधन मामले में अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है.
कोर्ट ने ED से मांगा जवाब
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने संघीय एजेंसी ईडी से सोरेन की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका पर एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करने को भी कहा और मामले को 21 मई को अवकाशकालीन पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया.
सोरेन की तरफ से कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कही ये बात
सोरेन की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि अंतरिम जमानत दी गई तो झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता 2 जून को आत्मसमर्पण करेंगे.सिब्बल ने कहा, ‘मामले में मेरे पक्ष के खिलाफ कोई सामग्री नहीं है.यदि अंतरिम जमानत नहीं दी गई तो चुनाव खत्म हो जाएंगे.’
मामले में सोरेन की ओर से पेश सिब्बल और वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणाभ चौधरी ने कहा कि झामुमो नेता सोरेन के पास मामले में संबंधित जमीन का कब्जा नहीं है और उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है.
कोर्ट ने कही ये बात
जवाब में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि उन्होंने जिन सबूतों पर भरोसा किया है, उनमें से एक उस व्यक्ति का बयान है जो वास्तव में जमीन पर पाया गया था, जिसकी तस्वीरें भी हैं. न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि ईडी का कहना है कि जमीन को बेचने की फाइल नोटिंग है, जिसमें कहा गया है कि सीएम की रुचि थी.न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि जब तक पीठ प्रथम दृष्टया संतुष्ट नहीं हो जाती, कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता.
ED की ओर कही गई ये बात
मामले में ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि सोरेन को बहुत पहले गिरफ्तार किया गया था और उन्होंने अपनी नियमित जमानत याचिका खारिज होने को चुनौती भी नहीं दी है.
बता दें कि सोरेन को 31 जनवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कथित भूमि घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था.