Saturday, November 16, 2024
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Guideline for Coaching Centers : 16 साल से कम उम्र के बच्‍चों को नहीं दें एडमिशन, कोर्स छोड़ने पर फीस भी लौटानी होगी, केन्द्र सरकार ने कसा शिकंजा

नई दिल्ली। देश में प्राइवेट कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर लगाम कसते हुए केन्द्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने कड़े नियम-कायदे लागू करने के निर्देश दिए हैं। नई गाइडलाइन के अनुसार कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्‍चों को एडमिशन नहीं दे सकेंगे। इतना ही नहीं, झूठे या भ्रामक वादे करना और अच्‍छे नंबरों की गारंटी देने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। ये गाइडलाइंस 12वीं के बाद JEE, NEET, CLAT जैसे एंट्रेंस एग्जाम और सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली कोचिंग सेंटर्स के लिए बनाई गई हैं। विद्यार्थियों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों, क्‍लासेज में आग की घटनाओं और कोचिंग सेंटर्स में सुविधाओं की कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने नई गाइडलाइंस जारी की है।

इन गाइडलाइंस की मदद से देश में कोचिंग संस्थानों के काम करने का लीगल फ्रेमवर्क तय होगा। शिक्षा विभाग कोचिंग इंस्टिट्यूट्स के छात्रों के लिए को-करिकुलम एक्टिविटीज, करियर गाइडेंस और साइकोलॉजिकल गाइडेंस देने के लिए कोचिंग्स को रेगुलेट करेगा। सरकार ने दिशानिर्देश लागू होने के 3 महीने के भीतर नए और मौजूदा कोचिंग सेंटर्स के रजिस्‍ट्रेशन का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी होगी की सभी कोचिंग सेंटर्स जारी गाइडलाइंस का पालन करें।

ये होंगे नए नियम, जिनकी करनी होगी अनुपालना

ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले ट्यूटर्स फैकल्‍टी नियुक्‍त नहीं होंगे।

कोचिंग सेंटर्स पैरेंट्स को भ्रामक वादे या अच्छे नंबर और रैंक की गारंटी नहीं दे सकते हैं।

कोचिंग 16 साल से कम उम्र के स्‍टूडेंट्स का इनरोलमेंट नहीं कर सकते हैं।

इनरोलमेंट केवल सेकेंड्री स्‍कूल एग्‍जाम के बाद ही किया जाएगा।

मोरल क्राइम के दोषी टीचर्स को फैकल्‍टी नियुक्‍त नहीं किया जाएगा।

काउंसलिंग सिस्‍टम के बगैर किसी कोचिंग को रजिस्‍ट्रेशन नहीं दिया जाएगा।

कोचिंग सेंटर को अपनी वेबसाइट पर फैकल्‍टी की योग्यता, कोर्स पूरा होने की अवधि, हॉस्‍टल सुविधाओं और फीस की पूरी जानकारी देनी होगी।

कोचिंग को बच्‍चों को होने वाले मेंटल स्‍ट्रेस पर ध्‍यान देना होगा और क्‍लासेज में उनपर अच्‍छे परफॉर्मेंस का प्रेशर नहीं बनाया जाएगा।

कोचिंग को इमरजेंसी या स्‍ट्रेसफुल सिचुएशन से छात्रों को मदद देने के लिए एक सिस्‍टम बनाना होगा।

एक अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि कोचिंग सेंटर में साइकोलॉजिकल काउंसलिंग का चैनल मौजूद हो।

साइकोलॉजिस्‍ट, काउंसलर के नाम और उनके वर्किंग टाइम की जानकारी भी सभी छात्रों और अभिभावकों को दी जानी चाहिए।
ट्यूटर भी स्‍टूडेंट्स को गाइडेंस देने के लिए मेंटल हेल्‍थ के टॉपिक्‍स में ट्रेनिंग ले सकते हैं।

अलग-अलग कोर्सेज के लिए ट्यूशन फीस भी फिक्‍स होनी चाहिए और फीस की रसीद भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

अगर छात्र ने कोर्स के लिए पूरी फीस दी है और तय अवधि के बीच में कोर्स छोड़ रहा है, तो छात्र 10 दिनों के भीतर बची हुई फीस वापस की जानी चाहिए।

अगर छात्र कोचिंग सेंटर के हॉस्‍टल में रह रहा था तो हॉस्‍टल फीस और मेस फीस भी वापस की जानी चाहिए।

किसी भी परिस्थिति में, कोर्स के बीच में कोर्स की फीस बढ़ाई नहीं जाएगी।

गाइडलाइंस फॉलो न करने पर कोचिंग सेंटर्स पर 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा या ज्‍यादा फीस वसूलने पर कोचिंग का रजिस्‍ट्रेशन भी रद्द कर दिया जाएगा।

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