GST Reforms : केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि जीएसटी विभाग 22 सितंबर से लागू होने वाले नए कर ढांचे को सुचारू ढंग से लागू करने के लिए उद्योग जगत के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर उन्नत बनाने पर काम कर रहा है। अग्रवाल ने यह भी कहा कि उद्योगों को उन वस्तुओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जमा होने को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, जिन पर कर की दरों में कटौती की गई है। वे इस संचित आईटीसी का इस्तेमाल कर के भुगतान में कर सकेंगे। जीएसटी परिषद ने बुधवार को आम सहमति से माल एवं सेवा कर में व्यापक सुधारों को मंजूरी दी। परिषद ने पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय कर संरचना को मंजूरी दी है। इसके अलावा, लक्जरी और अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर लगाने का निर्णय किया गया है। नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।
अग्रवाल ने ‘पीटीआई’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘दरों में कई बदलाव हुए हैं। 40 प्रतिशत की एक नई दर लागू की गई है। हमें विश्वास है कि हमारे पास उपलब्ध करीब दो सप्ताह के समय में हम नए शुल्कों और नई शुरुआत के लिए पूरी तरह तैयार होंगे।’ उन्होंने कहा कि जीएसटी विभाग ने पहले ही उद्योग जगत से संपर्क कर लिया है और उन्हें सूचित कर दिया है ताकि वे भी अपनी जीएसटी संबंधी प्रणालियों को उन्नत कर सकें।
अग्रवाल ने कहा, ‘वे (उद्योग जगत) इन बदलावों को अपने एकीकृत सॉफ्टवेयर प्रणालियों में भी शामिल कर सकते हैं, ताकि शुरुआत सुचारू रूप से हो और इसमें कोई गड़बड़ी न हो। हमें इस बात का पूरा भरोसा है।’ फंसे आईटीसी से जुड़ी उद्योग की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा कि ऐसी वस्तुओं के वितरक इनपुट (कच्चे माल) पर करों का भुगतान जिस भी दर पर करते हैं, उस पर पूरा आईटीसी प्राप्त करने के हकदार होंगे। अग्रवाल ने कहा, ‘‘जब वे 22 सितंबर से सामान बेचेंगे या आपूर्ति करेंगे, तो नई दरें लागू होंगी। तब वे आईटीसी का उपयोग कर सकेंगे। यह उन्हें रिटर्न दाखिल करते समय शुल्क भुगतान के लिए उपलब्ध होगा।’ उन्होंने कहा कि आईटीसी शायद बहुत कम समय के लिए संचित होगा और उसके बाद यह फिर से सुचारू हो जाएगा।
अग्रवाल ने कहा कि चूंकि कंपनियां आईटीसी का उपयोग करके करों का भुगतान करते हैं, इसलिए मासिक संग्रह में कुछ गिरावट आ सकती है। सीबीआईसी प्रमुख ने कहा, ‘हमें लगता है कि दो-तीन महीनों में संग्रह में फिर से तेजी आएगी और राजस्व अपने वर्तमान स्तर पर वापस आ जाएगा।’