SIR : नई दिल्ली। मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर तत्काल चर्चा की विपक्ष की मांग के बीच, संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू ने मंगलवार को कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष को इसके लिए समय सीमा तय नहीं करनी चाहिए। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे की एसआईआर के मुद्दे पर सदन में तत्काल चर्चा शुरू करने की मांग के बाद, रीजीजू ने कहा कि वह मंगलवार को विभिन्न दलों के नेताओं से बातचीत करेंगे और कोई हल निकालेंगे। सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा तथा रीजीजू ने आश्वस्त किया कि सरकार चर्चा के लिए उपयुक्त समय तय करने को लेकर विपक्ष से विचार-विमर्श करेगी।
इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए जल्द ही विपक्षी नेताओं की एक बैठक बुलाई जाएगी : नड्डा
नड्डा ने कहा कि उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए जल्द ही विपक्षी नेताओं की एक बैठक बुलाई जाएगी। एसआईआर के मुद्दे पर तत्काल चर्चा की खरगे की मांग पर रीजीजू ने कहा कि विपक्ष समय का दबाव न डाले। उन्होंने कहा ‘‘मैंने कल भी कहा था कि कृपया समय को लेकर शर्त न रखें। उन्होंने कहा “मैं सभी दलों से औपचारिक और अनौपचारिक बातचीत करूंगा। परामर्श की प्रक्रिया शुरू होगी तो बात आगे बढ़ेगी। समस्या तब शुरू होती है जब आप समय को लेकर सवाल उठाते हैं। हर चीज़ मशीन की तरह नहीं चल सकती। संसदीय लोकतंत्र में हमें बातचीत करनी होगी, हमें चर्चा करनी होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष चुनाव नहीं जीत पाने की निराशा सदन में उतार रहा है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में बातचीत और चर्चा अहम होती है। उन्होंने कहा ‘‘देश में कई मुद्दे हैं। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए कि एक मुद्दे को कमतर करें और दूसरा उठाएं। सभी मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।
एसआईआर के दबाव में 28 बीएलओ की मृत्यु हो चुकी है : खरगे
रीजीजू ने कहा, आप चुनाव नहीं जीत सकते। लोग आपके ऊपर भरोसा नहीं करते। और आप अपना गुस्सा सदन में निकालते हैं। यह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव जनता का मंच होता है। मैंने कल भी कहा था कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं लेकिन हमें पहले औपचारिक रूप से बैठक करनी होगी। समय पर जोर देना ठीक नहीं है। विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि एसआईआर के काम के दबाव के कारण 28 बीएलओ (ब्लॉक स्तर अधिकारी) की मृत्यु हो चुकी है। उन्होंने कहा,यह तात्कालिक मुद्दा है। लोकतंत्र, नागरिकों और देश के हित में चर्चा अभी होनी चाहिए। हम सहयोग करेंगे। हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर अभी चर्चा हो। उन्होंने कहा ‘‘हमारा अनुरोध है कि एसआईआर पर तत्काल चर्चा हो। यह गंभीर मुद्दा है क्योंकि देश में बीएलओ की जान दांव पर लगी है।’’
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— SansadTV (@sansad_tv) December 2, 2025
सरकार SIR पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन “अभी बताओ, कब से होगा”—इस तरह से चर्चा नहीं होती।
राज्यसभा में SIR पर चर्चा की विपक्ष की मांग पर
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इससे पहले, उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति सी पी राधाकृष्णन ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। यह प्रक्रिया पूरी होते ही विपक्षी सदस्यों ने एसआईआर के मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग उठाई और नारे लगाते हुए आसन के समीप आ गए। सभापति ने इसे अनुशासनहीनता बताते हुए उन्हें अपने स्थानों पर लौटने को कहा। सभापति ने बताया कि उन्हें नियत कामकाज स्थगित कर नियम 267 के तहत पांच विषयों पर चर्चा करने के लिए 20 नोटिस मिले लेकिन ये नोटिस प्रक्रियागत आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थे इसलिए उन्होंने इन्हें स्वीकार नहीं किया।
यह सुनते ही विपक्षी सदस्यों का हंगामा तेज हो गया। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने सभापति से एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा की अनुमति देने का आग्रह किया।सभापति ने न तो नोटिस देने वाले सांसदों के नाम बताए और न ही उन नोटिसों के विषय की जानकारी दी। इसे विपक्षी सदस्यों ने इसे सदन की परंपरा के खिलाफ बताया। सभापति ने हंगामे के बीच ही शून्यकाल चलाने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने शून्यकाल के तहत मुद्दे उठाने के लिए जिन विपक्षी सदस्यों के नाम पुकारे, उनमें से ज्यादातर ने एसआईआर के मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग उठाई। सभापति ने इन सदस्यों को अनुमति नहीं दी और दूसरे सदस्यों के नाम पुकारे।




