BRICS Summit 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिक्स देशों से वैश्विक सहयोग एवं बहुध्रुवीय विश्व में अहम भूमिका निभाने का रविवार को आह्वान करते हुए कहा कि वे मिसाल बनें और ‘ग्लोबल साउथ’ की अपेक्षाओं को पूरा करें. ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है.
‘विविधता और बहुध्रुवीयता में हमारी दृढ़ आस्था ही हमारी ताकत’
17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में ‘बहुपक्षवाद, आर्थिक-वित्तीय मामलों और कृत्रिम मेधा को सुदृढ़ करने’ पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस समूह की ताकत इसकी विविधता और बहुध्रुवीयता के प्रति साझा प्रतिबद्धता में निहित है. उन्होंने कहा, ‘ब्रिक्स समूह की विविधता और बहुध्रुवीयता में हमारी दृढ़ आस्था ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है. हमें विचार करना होगा कि आने वाले समय में ब्रिक्स किस प्रकार एक बहुध्रुवीय विश्व के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति बन सकता है. इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक मंच पर गंभीरता से लिए जाने के लिए ब्रिक्स को पहले अपने आंतरिक ढांचे और प्रणालियों को सुदृढ़ करना होगा.
#WATCH रियो डी जेनेरो, ब्राजील: सचिव (आर्थिक संबंध) दामू रवि ने कहा, "प्रधानमंत्री ने दोहराया कि 20वीं सदी के वैश्विक संगठनों में 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने की क्षमता का अभाव है। इसलिए उन्होंने बहुपक्षीय संगठनों में सुधार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बहुध्रुवीय,… pic.twitter.com/T9LybQMMek
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 7, 2025
‘हमारे अपने तंत्रों को बेहतर बनाने पर जोर होना चाहिए’
प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक ‘पोस्ट’ में कहा, ‘सबसे पहले, हमारे अपने तंत्रों को बेहतर बनाने पर जोर होना चाहिए, ताकि जब हम बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार की बात करें तो हमारी विश्वसनीयता भी मजबूत हो. यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ब्रिक्स के भीतर आर्थिक सहयोग लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने कहा, ब्रिक्स न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) के माध्यम से परियोजनाओं को मंजूरी देते समय, मांग-आधारित निर्णय प्रक्रिया, दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और एक स्वस्थ ‘क्रेडिट रेटिंग’ बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.’
The Global South has many expectations from us. To fulfill them, we must follow the principle of ‘Lead by Example.’ India is fully committed to working shoulder to shoulder with all partners to achieve our shared goals.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 7, 2025
ग्लोबल साउथ को हमसे अपेक्षाएं हैं: पीएम मोदी
‘ग्लोबल साउथ’ की अपेक्षाओं को पूरा करने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्रिक्स को कृषि और विज्ञान में नवोन्मेषों को साझा करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘ग्लोबल साउथ को हमसे अपेक्षाएं हैं. उन्हें पूरा करने के लिए हमें मिसाल कायम करनी होगी. भारत साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी साझेदारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.’
मोदी ने भारत में स्थापित ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच को एक ऐसा मॉडल बताया, जिसके माध्यम से कृषि जैव प्रौद्योगिकी और जलवायु अनुकूलन के क्षेत्र में श्रेष्ठ पद्धतियों का आदान-प्रदान किया जा सकता है. उन्होंने यह भी प्रस्ताव दिया कि ब्रिक्स विज्ञान एवं अनुसंधान भंडार बनाया जाए, जिससे सहयोग के लाभ अन्य विकासशील देशों तक भी पहुंचाए जा सकें.
वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकियों को लेकर सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने साथ ही कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी देश इन संसाधनों का उपयोग केवल अपने स्वार्थ के लिए या हथियार के रूप में न करे.’
AI को लेकर पीएम मोदी ने कही ये बात
प्रधानमंत्री ने कृत्रिम मेधा (एआई) के संचालन के लिए ऐसे सामूहिक प्रयासों की वकालत की, जो मानवीय मूल्यों पर आधारित हो. उन्होंने कहा,’सभी के लिए एआई’ के मंत्र पर कार्य करते हुए भारत कृषि, स्वास्थ्य, शासन और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में एआई का सक्रिय और व्यापक उपयोग कर रहा है. हम मानते हैं कि एआई संचालन से जुड़ी चिंताओं का समाधान और नवोन्मेष को प्रोत्साहन, दोनों को समान प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
ब्रिक्स में कौन-कौन देश शामिल ?
मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बने ब्रिक्स का 2024 में विस्तार किया गया, जिसके तहत मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को समूह में शामिल किया गया. इंडोनेशिया 2025 में ब्रिक्स में शामिल हुआ. इसके 17वें शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों, भागीदारों और विशेष आमंत्रित देशों ने भाग लिया.
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