न्यूयार्क, अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की एक बार फिर मुसीबतें बढ़ गई है. भारत के दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिका में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगा है. अडानी पर आरोप हैं कि उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में सौर परियोजनाओं के अनुबंध और वित्त पोषण हासिल करने लिए बड़े पैमाने पर रिश्वत दी और यह बात उन्होंने अमेरिकी निवेशकों से छिपाई.
अडानी के साथ इन लोगों पर भी लगे आरोप
अडानी के साथ जिन अन्य लोगों पर आरोप लगे हैं, उनमें उनके भतीजे और अडानी ग्रीन एनर्जी के कार्यकारी निदेशक सागर अडानी और कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रहे विनीत जैन शामिल हैं. जैन 2020 से 2023 तक कंपनी के सीईओ थे और वह इसके निदेशक मंडल के प्रबंध निदेशक हैं.
2 मामले ब्रुकलीन संघीय अदालत में दर्ज
अडानी पर बुधवार को प्रतिभूति धोखाधड़ी करने और उसकी साजिश रचने के आरोप लगाए गए. उनके खिलाफ 2 मामले ब्रुकलीन की संघीय अदालत में दर्ज किए गए हैं. यह मामला अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य कंपनी के लिए भारत सरकार को 12 गीगावाट सौर ऊर्जा बेचने को लेकर अधिकारियों को रिश्वत देने से जुड़ा है.
अडानी पर लगे हैं ये आरोप
अभियोग में अडानी और अन्य पर भारत में अरबों डॉलर के अनुबंध और वित्त पोषण हासिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों को लगभग 26.5 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने या देने की योजना बनाने के आरोप हैं. उन पर वॉल स्ट्रीट (अमेरिकी शेयर बाजार) के निवेशकों के साथ वास्तविक स्थिति छिपाने का आरोप है. जबकि इन निवेशकों ने पिछले 5 साल में इस परियोजना में कई अरब डॉलर लगाए हैं.
उप सहायक अटॉर्नी जनरल लिसा मिलर ने कहा कि अडानी और उनके सहयोगियों ने अमेरिकी निवेशकों की कीमत पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के माध्यम से बड़े पैमाने पर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध और वित्त पोषण प्राप्त करने की कोशिश की. अमेरिकी अटॉर्नी ब्रियोन पीस ने कहा कि प्रतिवादियों ने एक विस्तृत योजना तैयार की और हमारे वित्तीय बाजारों की कीमत पर खुद को लाभ पहुंचाने की कोशिश की.
नियामक ने मौद्रिक दंड और अन्य प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया
एक अन्य दीवानी कार्रवाई में, अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग ने अडानी और दो अन्य पर अमेरिकी प्रतिभूति कानूनों के धोखाधड़ी-रोधी प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. नियामक ने मौद्रिक दंड और अन्य प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया है. दोनों मामले ब्रुकलिन की संघीय अदालत में दायर किए गए हैं. इस बारे में अडानी समूह को ई-मेल भेजकर टिप्पणी मांगी गई है, लेकिन फिलहाल उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.