G Ram G Bill 2025: सरकार ने विपक्ष के तीखे विरोध के बीच मंगलवार को लोकसभा में ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ पेश किया, जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के स्थान पर लाया गया है. ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच यह विधेयक पेश करने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी.
विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना उनका अपमान है. उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक को वापस लिया जाए या फिर संसदीय समिति के पास भेजा जाए.
महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं: शिवराज सिंह
शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘महात्मा गांधी हमारे दिलों में बसते हैं.’ उनका कहना था कि मोदी सरकार महात्मा गांधी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर आधारित कई योजनाएं चला रही है. उन्होंने सवाल किया, ‘कांग्रेस की सरकार ने भी जवाहर रोजगार योजना का नाम बदला था तो क्या यह पंडित जवाहरलाल नेहरू का अपमान था?’
चौहान ने कहा कि सरकार ने मनरेगा पर 8.53 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं. उन्होंने बताया, ‘हम इस विधेयक में 125 दिन के रोजगार की गारंटी दे रहे हैं. यह कोई कोरी गारंटी नहीं है, बल्कि 1.51 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का प्रावधान किया गया है. इस विधेयक से गांवों का संपूर्ण विकास होगा.
इससे रोजगार का कानूनी अधिकार कमजोर हो रहा है: प्रियंका गांधी
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि इससे रोजगार का कानूनी अधिकार कमजोर हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘विधेयक में केंद्र के अनुदान को 90 से 60 प्रतिशत किया गया है और राज्यों पर अतिरिक्त भार पड़ेगा. विधेयक वापस लिया जाना चाहिए या कम से कम स्थायी समिति के पास भेजा जाए.’ प्रियंका गांधी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि किसी की ‘निजी महत्वाकांक्षा, सनक और पूर्वाग्रह’ के आधार पर कोई विधेयक पेश नहीं होना चाहिए.
अन्य दलों ने भी बिल पेश करने का विरोध किया
कांग्रेस के केसी वेणुगोपाल और शशि थरूर, तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले और कई अन्य सदस्यों ने भी विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि इसे संसदीय समिति के पास भेजा जाए.
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