नई दिल्ली। भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहने से लेकर उच्च आयात शुल्क लगाने तक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने भारत के प्रति अपने व्यापारिक रुख को लगातार कड़ा किया है। इन घोषणाओं को प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) में अमेरिका के पक्ष में नयी दिल्ली पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। भारत पर अमेरिकी शु्ल्क और घरेलू निर्यातकों पर इसके प्रभाव के बारे में सवाल-जवाब की एक सूची यहां दी गई है।

भारत के खिलाफ ट्रंप की शुल्क कार्रवाई का घटनाक्रम क्या है?
अक्टूबर 2019: ट्रंप ने भारत को ”टैरिफ किंग” करार दिया।
सितंबर 2024: ट्रंप ने भारत को ”शुल्क का दुरुपयोग करने वाला” कहा।
दो अप्रैल, 2025: अमेरिका ने औपचारिक रूप से भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की घोषणा की, जो नौ अप्रैल से प्रभावी होने थे।
पांच अप्रैल, 2025: व्हाइट हाउस के कार्यकारी आदेश ने आयात पर 10 प्रतिशत का मूल शुल्क लगाया। इसके अलावा हर देश के लिए विशिष्ट शुल्क दरें (भारत के मामले में 16 प्रतिशत) नौ अप्रैल से लागू होने वाली थीं। शुल्क के दायरे से कुछ क्षेत्रों, जैसे दवाइयां, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऊर्जा उत्पादों को बाहर रखा गया।
नौ अप्रैल, 2025: अमेरिका ने देश-विशिष्ट शुल्क दरों के कार्यान्वयन को 90 दिन के लिए रोकते हुए नौ जुलाई तक टाल दिया। हालांकि, 10 प्रतिशत का मूल शुल्क बना रहा।
आठ जुलाई, 2025: निलंबन अवधि को एक अगस्त तक बढ़ा दिया गया।
30 जुलाई, 2025: अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क और जुर्माने की घोषणा की। रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के चलते जुर्माना लगाने की बात कही गई।
31 जुलाई, 2025: व्हाइट हाउस ने सात अगस्त से प्रभावी होने वाले 25 प्रतिशत शुल्क के लिए कार्यकारी आदेश जारी किया। जुर्माने का कोई उल्लेख नहीं। 10 प्रतिशत मूल शुल्क और छूट प्राप्त क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं।
पांच अगस्त, 2025: ट्रंप ने कहा कि वह भारत पर शुल्क को काफी हद तक बढ़ा देंगे।
छह अगस्त, 2025: भारत से आने वाले उत्पादों पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाया। इस तरह कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया।
अमेरिका में भारतीय वस्तुओं पर इस समय आयात शुल्क संरचना क्या है?
सात अगस्त से अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क (10 प्रतिशत आधारभूत शुल्क सहित) और साथ ही एमएफएन (सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र) दरों के साथ ही व्यापार उपचार उपायों, यदि कोई हो, का सामना करना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए भारत के झींगा निर्यात में शून्य एमएफएन दर है। लेकिन इस पर पहले से ही 2.49 प्रतिशत एंटी-डंपिंग शुल्क और 5.77 प्रतिशत प्रतिपूरक शुल्क लगता है। ये दोनों शुल्क अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापार उपचार उपाय हैं। इसलिए सात अगस्त से भारतीय झींगा पर 33.26 प्रतिशत शुल्क (25 प्रतिशत, 2.49 प्रतिशत और 5.77 प्रतिशत) लागू होगा। इसके बाद 27 अगस्त से घरेलू झींगा पर अमेरिका में 58.26 प्रतिशत शुल्क लगेगा।
- क्या कोई अन्य शुल्क हैं?
तांबा (50 प्रतिशत), और वाहन कलपुर्जा (25 प्रतिशत) जैसे अतिरिक्त शुल्क हैं (अर्थात मौजूदा शुल्कों के अतिरिक्त, यदि कोई हो)।
कौन से क्षेत्र या उत्पाद श्रेणियों को इन शुल्कों से छूट दी गई है?
तैयार दवाइयां, सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) और अन्य प्रमुख दवा सामग्री, ऊर्जा उत्पाद जैसे कच्चा तेल, परिष्कृत ईंधन, प्राकृतिक गैस, कोयला और बिजली, महत्वपूर्ण खनिज और कंप्यूटर, टैबलेट, स्मार्टफोन, सॉलिड-स्टेट ड्राइव, फ्लैट पैनल डिस्प्ले और एकीकृत सर्किट सहित इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर की एक विस्तृत श्रृंखला पर 50 प्रतिशत शुल्क लागू नहीं होगा।
कौन से मुख्य निर्यात क्षेत्र उच्च शुल्कों का खामियाजा भुगतेंगे?
इन क्षेत्रों में कपड़ा/ परिधान, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, रसायन, तथा विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं।
पिछले वित्त वर्ष में इन क्षेत्रों से भारत का निर्यात कितना था?
झींगा (दो अरब डॉलर), जैविक रसायन (2.7 अरब डॉलर), कालीन (1.2 अरब डॉलर), बुने हुए परिधान (2.7 अरब डॉलर), वस्त्र, मेड-अप (तीन अरब डॉलर), हीरे, सोना और इनसे बने उत्पाद (10 अरब डॉलर), मशीनरी और यांत्रिक उपकरण (7.7 अरब डॉलर), फर्नीचर, बिस्तर, गद्दे (1.1 अरब डॉलर), और वाहन और पुर्जे (2.6 अरब डॉलर)।
इन शुल्कों पर निर्यातकों की क्या राय है?
समुद्री खाद्य निर्यातक योगेश गुप्ता ने कहा कि अब अमेरिकी बाजार में भारत का झींगा महंगा हो जाएगा।
भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) ने इसे बहुत बड़ा झटका और चिंता की बात बताया।
कामा ज्वेलरी के प्रबंध निदेशक कॉलिन शाह ने कहा कि यह कदम एक गंभीर झटका है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि शुल्क से अमेरिका में भारतीय सामान काफी महंगा हो जाएगा, जिससे अमेरिका को होने वाले निर्यात में 40-50 प्रतिशत की कमी आने की आशंका है।
भारतीय निर्यात संगठनों का महासंघ (फियो) ने इस घोषणा को बेहद चौकाने वाला बताया।
भारत के व्यापारिक प्रतिस्पर्धियों पर क्या शुल्क हैं?
नए शुल्क के बाद भारत पर ब्राजील के साथ सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत शुल्क लगेगा। इसके अलावा म्यांमा पर 40 प्रतिशत, थाइलैंड और कंबोडिया पर 36 प्रतिशत, बांग्लादेश पर 35 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत, चीन और श्रीलंका पर 30 प्रतिशत, मलेशिया पर 25 प्रतिशत, फिलिपीन और वियतनाम पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है।