जयपुर। प्रदेश की गुलाबी नगरी जयपुर में रविवार को 27 सवारियों से भरी जेसीटीएसएल की लो-फ्लोर बस में आगे से अफरा-तफरी मच गई। गनीमत रही कि सही समय पर सभी सवारियों को बस से नीचे उतार लिया गया, नहीं तो बड़ा हादसा घट सकता था। हालांकि इस दौरान आगे बुझाने के प्रयास में ड्राइवर का हाथ बुरी तरह से झुलस गया। जानकारी के अनुसार इंजन से धुआं निकलता देख चालक ने बस को रोका और तत्काल सभी सवारियों को नीचे उतारा। इसके बाद फायर फाइटिंग सिस्टम की मदद से आग पर काबू किया। जेसीटीएसएल की लो-फ्लोर बस ट्रांसपोर्ट नगर से खिरणी फाटक जा रही थी। वायरिंग शॉर्ट होने से गोपालपुरा मोड़ पर बस में से धुआं निकलने लगा।

ड्राइवर ने दिखाई बहादुरी, सवारियों ने तालियां बजाकर धन्यवाद दिया
बस चालक मनीष बन्ना ने बताया कि बस में फायर फाइटिंग सिस्टम रखा था। इसकी मदद से आग पर जल्द कंट्रोल कर लिया गया। नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।सावधानी से सवारियों को बस से नीचे उतार कर आगे लगी आग को बुझाया। चालक की समझदारी को देख कर सभी सवारियों ने तालिया बजाकर चालक का उत्साहवर्धन किया। घटना दोपहर करीब 1:30 बजे घटी। करीब आधे घंटे में आग पर कंट्रोल पा लिया गया। सभी सवारियों को दूसरी बस से रवाना कर दिया गया। इंजन के पास लगी आग को बुझाने की कोशिश के दौरान एकदम से स्पार्क हुआ। इससे हाथ जल गया। हाथ जलने के बाद भी मेरी प्रायोरिटी थी कि पहले आग पर काबू किया जाए। नहीं तो पूरी बस जलकर खाक हो जाती। इस दौरान पास ही खड़े एक व्यक्ति ने पानी का पाइप लाकर दिया। तब तक मेरा हाथ काफी झुलस चुका था। आग बुझने के बाद मेरे साथी मुझे मेडिकल स्टोर पर लेकर पहुंचे।

सिटी बसों के हाल बेहाल, आए दिन घटते हैं कई हादसे
यह पहला वाक्या नहीं जब जेसीटीएसएल की बस में आग लगने की घटना हुई हो। इससे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। कई बार मूल चालक की जगह नौसिखिया चालकों को गाड़ी चलाने को दे दी जाती हैं। जेसीटीएसएल भी मानता है कि बसों का समय पर सही रख रखाव नहीं होता। इसके चलते बार-बार चलती बस में शिकायत आती हैं। लो-फ्लोर बसों का मेंटेनेंस निजी कम्पनी कर रही है जिसके बदलने महीने के करोड़ों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। इसके बावजूद जिम्मेदार खानापूर्ति करने में लगे हैं।