Nimisha Priya : उच्चतम न्यायालय को शुक्रवार को सूचित किया गया कि यमन में हत्या के जुर्म में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लग गई है। केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि इस मामले में ‘‘प्रयास जारी हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि प्रिया सुरक्षित वापस आ जाएं। पीठ ने कहा, ‘सरकार हर संभव मदद कर रही है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि पहले उन्हें (नर्स को) क्षमादान मिले, उसके बाद ”ब्लड मनी” का मुद्दा आएगा।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि फांसी स्थगित कर दी गई है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 अगस्त की तिथि निर्धारित की है। शीर्ष अदालत यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही प्रिया (38) को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने के वास्ते केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। प्रिया को पहले फांसी 16 जुलाई को दी जानी थी। केरल के पलक्कड़ जिले की नर्स प्रिया को 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उसे 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी और उसकी अंतिम अपील 2023 में खारिज कर दी गई थी। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद है।

तलाल मेहदी का परिवार ‘ब्लड मनी’ लेने से किया इनकार
यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में फंसी भारत की नर्स निमिषा प्रिया को माफ करने से महदी परिवार ने इनकार कर दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक महदी के भाई अब्देल फत्तह महदी ने सोशल मीडिया पर साफ कहा कि मैं अपने भाई की हत्या के मामले में कोई माफी या समझौता नहीं चाहता। महदी ने कहा, न्याय की जीत होगी ,भले ही सजा में देरी हो, लेकिन बदला लेकर रहेंगे। चाहे कोई भी कितना दबाव डाले या मिन्नतें करे, हम क्षमा नहीं करेंगे और ब्लड मनी (खून के बदले दी जाने वाली रकम) नहीं लेंगे। निमिषा को मौत की सजा 16 जुलाई को होनी थी, लेकिन इसे फिलहाल टाल दिया गया है।
महदी बोले- निमिषा को मौत की सजा मिलनी चाहिए
एक इंटरव्यू में भी महदी ने कहा, हम शरियत कानून के तहत ‘किसास’ यानी बदले की मांग करते हैं। निमिषा को मौत की सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ हत्या ही नहीं, बल्कि सालों तक चले इस केस की लंबी कानूनी लड़ाई ने भी हमारे परिवार को काफी नुकसान पहुंचाया है। इसलिए वे मुआवजे की कोई रकम नहीं लेना चाहते।