J-K SIR : जम्मू। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि वह मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बारे में सभी राजनीतिक दलों को जानकारी दे, ताकि लंबित चिंताओं का समाधान किया जा सके और चुनावी प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि चुनाव हमेशा निष्पक्ष और पारदर्शी होने चाहिए, जिसमें किसी भी शिकायत या संदेह की कोई गुंजाइश न रहे, जो कि निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है।
निर्वाचन आयोग को सभी दलों की चिंताओं को दूर करना चाहिए : अब्दुला
अब्दुल्ला ने एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘अगर एसआईआर को लेकर कोई आशंका है, तो निर्वाचन आयोग को सभी राजनीतिक दलों को बुलाकर उन्हें इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी देनी चाहिए और सभी चिंताओं का समाधान करना चाहिए।’ अब्दुल्ला की यह टिप्पणी कई गैर राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) दलों द्वारा एसआईआर प्रक्रिया पर उठाई गई आपत्तियों की पृष्ठभूमि में आई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर कभी संदेह नहीं जताया, क्योंकि ‘मैं नहीं मानता कि इन मशीनों में हेरफेर की जा सकती है।’

हालांकि, उन्होंने कहा कि यह भी सच है कि चुनाव में किसी और तरीके से हेरफेर की जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘अगर आप देखें तो यहां जो परिसीमन किया गया (2019 के पुनर्गठन अधिनियम के बाद और 2022 में पूरा हुआ) वह भी एक चुनावी हेरफेर था। आपने एक पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए जम्मू (क्षेत्र) में छह सीटें बढ़ा दीं।’ उन्होंने कहा, ‘शायद इसीलिए हमें एसआईआर को लेकर कुछ चिंताएं हैं। बेहतर होगा कि चुनाव आयोग हमें बुलाए और बताए कि एसआईआर क्या है।’
अगर आप धर्म के आधार पर सीटें बांटना चाहते हैं, तो उस जगह को अल्पसंख्यकों के लिए रखें : अब्दुला
रियासी स्थित श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में एमबीबीएस दाखिले से जुड़े विवाद और हिंदू छात्रों के लिए सभी सीटें आरक्षित करने की मांग को लेकर जम्मू-कश्मीर के एक भाजपा प्रतिनिधिमंडल द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर आप धर्म के आधार पर सीटें बांटना चाहते हैं, तो उस जगह को अल्पसंख्यकों के लिए रखें। हम सरकार से मिलने वाले अनुदान को कहीं और निवेश करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘हमें कोई आपत्ति नहीं है। आप वहां आवंटित जमीन की कीमत चुकाएं। आपको मिलने वाला अनुदान लेना बंद करें। अपना दर्जा बदलें। अल्पसंख्यक संस्थान के रूप में कार्य करें। उसके बाद, अगर आप धर्म के आधार पर सीटें बांटना चाहते हैं, तो बांटें, आपको कौन रोक सकता है? लेकिन अभी तक आपने नीट परीक्षा को स्वीकार किया है, और नीट परीक्षा में आप सिर्फ योग्यता देखते हैं।’ अब्दुल्ला ने कहा कि यदि कोई छात्र मेरिट सूची में स्थान पाने में असफल रहा तो ‘आप इसके लिए किसी और को कैसे दोषी ठहरा सकते हैं?’




