Monday, August 18, 2025
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Bihar SIR Case : निर्वाचन आयोग ने बिहार मतदाता सूची से हटाए 65 लाख लोगों के नाम सार्वजनिक किए, मतदान केंद्रों पर चिपकाई गई लिस्ट

निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं। यह कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के उस निर्देश के तहत की गई जिसमें 19 अगस्त तक नाम सार्वजनिक करने और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया था। हटाए गए नाम 'एएसडी' सूची में शामिल हैं, जो मतदान केंद्रों और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध कराई जा रही है।

Bihar SIR Case : पटना। निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत प्रकाशित मतदाता सूचियों के मसौदे से हटाए गए 65 लाख लोगों के नाम सोमवार को सार्वजनिक किए।

चुनाव आयोग ने सार्वजनिक किए नाम

अधिकारियों ने यह जानकारी दी। यह घटनाक्रम उच्चतम न्यायालय के उस निर्देश की पृष्ठभूमि में आया है जिसमें कहा गया था कि हटाए गए नामों का विवरण 19 अगस्त तक सार्वजनिक किया जाए और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की जाए। अधिकारियों ने बताया कि निर्वाचन आयोग मतदान केंद्रों पर ‘एएसडी’ (अनुपस्थित, स्थानांतरित और मृत) मतदाताओं के नाम प्रकाशित कर रहा है और उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार हटाए गए नामों का प्रकाशन ऑनलाइन भी किया जा सकता है। बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के अनुसार, रोहतास, बेगूसराय, अरवल और अन्य स्थानों के मतदान केंद्रों पर एएसडी सूचियां प्रदर्शित की गई हैं।

हर कदम पर पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है : मुख्य चुनाव आयुक्त

भारत में चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संसद और विधानसभा चुनावों की पूरी प्रक्रिया एक बहु-स्तरीय और विकेंद्रीकृत ढांचे पर आधारित है, जो कानून द्वारा परिभाषित है। मतदाता सूची की तैयारी की जिम्मेदारी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (ERO) और बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) को सौंपी जाती है, जो आमतौर पर एसडीएम स्तर के अधिकारी होते हैं। वे मतदाता सूची की सटीकता और निष्पक्षता के लिए जवाबदेह होते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद उसकी डिजिटल और फिजिकल कॉपियां सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती हैं। साथ ही यह सूची चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहती है ताकि हर नागरिक इसकी समीक्षा कर सके।इस प्रक्रिया में किसी भी तरह का छिपाव नहीं होता। हम हर स्तर पर पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखते हैं, उन्होंने कहा।

दावों और आपत्तियों की प्रक्रिया

मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि बिहार में 1 अगस्त को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की गई है, जो 1 सितंबर तक दावे और आपत्तियों के लिए खुली रहेगी। इस अवधि के दौरान कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल यह अनुरोध कर सकता है कि योग्य नागरिकों को सूची में शामिल किया जाए या अपात्र नामों को हटाया जाए। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि अंतिम सूची अधिकतम संभव सटीकता और निष्पक्षता के साथ तैयार हो।

Mukesh Kumar
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