Tuesday, July 9, 2024
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Election 2023-24 : बसपा प्रमुख मायावती अकेले लड़ेगी आगामी चुनाव, नहीं होगी किसी भी दल में शामिल

नई दिल्ली। बुधवार का बसपा (बहुजन समाज पार्टी) की प्रमुख मायावती ने आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए अपना स्टैण्ड क्लीयर कर दिया हैं. मायावती ने माइक्रोब्लागिंग साइट एक्स (पूर्व में ट्वीटर ) पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि एनडीए और I.N.D.I.A गठबंधन अधिकतर गरीब विरोधी, जातिवादी, सांप्रदायिक पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियां हैं, जिनकी नीतियों के खिलाफ बीएसपी लगातार संघर्ष कर रही है. इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

2007 की तरह ही अकेले लड़ेगी आगामी चुनाव

मायावती ने पार्टियों से नेताओं को तोड़कर शामिल कराने को लेकर भी बड़े दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि BSP विरोधियों के जुगाड़ या जोड़तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे और बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनके गठबंधन से साल 2007 के यूपी विधानसभा की तरह अकेले आगामी लोकसभा और चार राज्यों में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी.

गठबंधन में शामिल होने की अटकलों का किया सिरे से खारिज

पिछले कुछ समय से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा थी कि मायावती विपक्षी दलो के गठबंधन में शामिल हो सकती हैं. इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कहा कि एनडीए और I.N.D.I.A गठबंधन अधिकतर गरीब विरोधी, जातिवादी, सांप्रदायिक पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियां हैं, जिनकी नीतियों के खिलाफ बीएसपी लगातार संघर्ष कर रही है. इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता

कांग्रेस ने  कर रखी थी पूरी प्लॉटिंग

मिनी पार्लियानमेंट कहे जाने वाले यूपी में ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीएसपी I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल हो सकती है और कांग्रेस ने इसके लिए पूरी प्लॉटिंग भी कर ली थी. यूपी में कांग्रेस ने दलित समुदाय से आने वाले बृजलाल खाबरी को हटा दिया था, जिसकी वजह से ऐसा संदेश गया कि मायावती को कंफर्ट फील कराने के लिए उसने खाबरी को हटाकर अजय राय को यूपी की कमान सौंपी है ताकि उन्हें ऐसा न लगे कि कांग्रेस एक ओर उन्हें गठबंधन में शामिल कराना चाहती है और दूसरी ओर यूपी में दलित समुदाय से ही आने वाले नेता को कमान भी दी है.

यूपी की पूर्व सीएम मायावती का बयान

  1. एनडीए व इण्डिया गठबंधन अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक व पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियाँ हैं जिनकी नीतियों के विरुद्ध बीएसपी अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। अतः मीडिया से अपील-नो फेक न्यूज प्लीज़।

2. बीएसपी, विरोधियों के जुगाड/जोड़तोड़ से ज्यादा समाज के टूटे/बिखरे हुए करोड़ों उपेक्षितों को आपसी भाईचारा के आधार पर जोड़कर उनकेे गठबंधन से सन 2007 की तरह अकेले आगामी लोकसभा तथा चार राज्यों में विधानसभा का आमचुनाव लडे़गी। मीडिया बार-बार भ्रान्तियाँ न फैलाए।

3. वैसे तो बीएसपी से गठबंधन के लिए यहाँ सभी आतुर, किन्तु ऐसा न करने पर विपक्षी द्वारा खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाते हैं। इनसे मिल जाएं तो सेक्युलर न मिलें तो भाजपाई। यह घोर अनुचित तथा अंगूर मिल जाए तो ठीक वरना अंगूर खट्टे हैं, की कहावत जैसी।

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