नई दिल्ली। दिल्ली शराब घोटाले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी। फैसले के कुछ घंटे बाद ED ने समन जारी कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के लिए 2 नवंबर को बुलाया। इस सूचना के सार्वजिनक होने के बाद मंगलवार को केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी ने दावा किया कि पूछताछ के बाद ईडी मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तार कर सकती है। उनके बाद इंडिया गठबंधन के दूसरे नेता भी गिरफ्तार होंगे। अगला नंबर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, केरल के सीएम पी. विजयन, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का है। आतिशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केजरीवाल से डर लगता है। भाजपा को पता है कि वह चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को नहीं हरा सकती है। इसलिए उनके सीनियर नेताओं को एक-एक कर जेल में डाला जा रहा है। इसके अलावा वे इंडिया गठबंधन के उन नेताओं को भी टारगेट कर रहे जो राजनीतिक रूप से उन्हें मजबूत दिख रहे हैं।
भाजपा का पलटवार, इतना बड़ा घोटाला बिना केजरीवाल के संभव नहीं
आतिशी के बयान के बाद पूर्व मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने आप के उन सभी आरोपों को खारिज किया, जिसमें सीएम अरविंद केजरीवाल का करियर खत्म करने की बात कही गई। उन्होंने कहा कि आप केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी है। उनकी पार्टी खुद को भ्रष्टाचार और घोटालों से खत्म कर रही है। आप नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जो कार्रवाई की जा रही है, उससे भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। इतना बड़ा घोटाला (दिल्ली शराब नीति केस) केजरीवाल के सहमति के बिना नहीं हो सकता।
इसी साल CBI ने केजरीवाल से की थी पूछताछ, 56 सवाल पूछे थे
शराब नीति केस में सीबीआई ने केजरीवाल से इसी साल अप्रैल के महीने में करीब साढ़े 9 घंटे तक पूछताछ की थी। सीबीआई ने उनसे 56 सवाल पूछे थे। केजरीवाल ने पूछताछ के बाद कहा था कि सीबीआई ने जितने सवाल पूछे, मैंने सबके जवाब दिए। हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। केजरीवाल ने कहा था कि ये पूरा का पूरा कथित शराब घोटाला झूठा है, फर्जी है और गंदी राजनीति से प्रेरित है। शराब घोटाला में दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह जेल में बंद हैं। सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर को भी जमानत देने से इनकार कर दिया। उन पर दिल्ली शराब नीति में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। दिल्ली शराब घोटाला 338 करोड़ रुपए के लेन-देन से जुड़ा मामला है।
दिल्ली में शराब नीति घोटाले में क्या कुछ हुआ, जानें एक नजर में
नई शराब नीति नवंबर 2021 को लागू हुई : दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने 22 मार्च 2021 को नई शराब नीति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इस नीति से शराब की दुकानें निजी हाथों में चली जाएंगी। सिसोदिया से इसका मकसद पूछा तो उन्होंने दो तर्क दिए। पहला- माफिया राज खत्म होगा। दूसरा- सरकारी खजाना बढ़ेगा। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति 2021-22 लागू कर दी गई। इससे शराब कारोबार से सरकार से बाहर हो गई और ये बिजनेस निजी हाथों में चला गया। कई बड़े डिस्काउंट देने से शराब की जमकर बिक्री हुई। इससे सरकारी खजाना तो बढ़ा, लेकिन इस नई नीति का विरोध होने लगा।
जुलाई-2022 में शराब नीति में घोटाले का आरोप लगा : 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने नई शराब नीति में घोटाला होने का आरोप लगाया। उन्होंने इससे जुड़ी रिपोर्ट एलजी वीके सक्सेना को रिपोर्ट सौंपी। इसमें बताया गया कि सिसोदिया ने लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया। उधर, एलजी ने भी कहा कि उनकी और कैबिनेट की मंजूरी के बिना ही शराब नीति में बदलाव कर दिए।
अगस्त 2022 को CBI और ED ने केस दर्ज किया : एलजी सक्सेना ने मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की मांग की। 17 अगस्त 2022 को जांच एजेंसी ने केस दर्ज किया। इसमें मनीष सिसोदिया, तीन रिटायर्ड सरकारी अफसर, 9 बिजनेसमैन और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया। सभी पर भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज किया। 19 अगस्त को सिसोदिया के घर और दफ्तर समेत सात राज्यों के 31 ठिकानों पर छापेमारी की। इस पर सिसोदिया ने दावा किया कि सीबीआई को कुछ नहीं मिला। इधर, 22 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय ने CBI से मामले की जानकारी लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया।
जुलाई 2022 सरकार ने नई नीति को रद्द किया : विवाद बढ़ता देख 28 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर दिया। फिर से पुरानी नीति लागू करने का फैसला लिया। 31 जुलाई को सरकार ने कैबिनेट नोट में बताया कि शराब की ज्यादा बिक्री के बाद भी सरकार की कमाई कम हुई, क्योंकि खुदरा और थोक कारोबारी शराब के धंधे से हट रहे थे।
फरवरी 2023 में सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया : सिसोदिया के पास एक्साइज डिपार्टमेंट था, इसलिए उन्हें कथित तौर पर इस घोटाले का मुख्य आरोपी बनाया गया। कई बार पूछताछ के बाद जांच एजेंसी ने 26 फरवरी को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल वे जेल में हैं। CBI ने सिसोदिया पर आरोप लगाया कि एक्साइज मिनिस्टर होने के नाते उन्होंने मनमाने और एकतरफा फैसले लिए, जिससे खजाने को भारी नुकसान पहुंचा और शराब कारोबारियों को फायदा हुआ।