नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार को दावा किया कि कई बिचौलियों और प्रॉपर्टी डीलर ने राजस्थान सरकार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के अधिकारियों को जल जीवन मिशन योजना से अवैध तरीके से प्राप्त धनराशि की हेराफेरी करने में मदद की। ईडी ने इस मामले में शुक्रवार को चुनावी राज्य में 26 स्थानों पर तलाशी ली थी। पहले दौर की छापेमारी सितंबर में की गई थी। नए अभियान में जयपुर और दौसा में पीएचईडी के वरिष्ठ अधिकारियों, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी और अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल के आवास और कार्यालय परिसरों के अलावा निजी व्यक्तियों के स्थानों की तलाशी ली। ईडी ने एक बयान में कहा कि तलाशी के दौरान 48 लाख रुपये की बेहिसाब नकदी और 1.73 करोड़ रुपये की बैंक जमा राशि, संपत्ति के दस्तावेज, डिजिटल साक्ष्य, हार्ड डिस्क, मोबाइल समेत कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए।
जांच में पाया गया कि ठेकेदार भारतीय रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड (इरकॉन) द्वारा जारी कथित ‘‘फर्जी’’ कार्य समापन प्रमाणपत्रों के आधार पर और पीएचईडी के वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत देकर जल जीवन मिशन कार्यों से संबंधित निविदाएं हासिल करने में शामिल थे। ईडी ने कहा, कई बिचौलियों और प्रॉपर्टी डीलर ने जल जीवन मिशन घोटाले से अवैध रूप से अर्जित धन की हेराफेरी में पीएचईडी अधिकारियों की सहायता की।
धन शोधन का मामला राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के मालिक पद्मचंद जैन, श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के मालिक महेश मित्तल और अन्य लोग अवैध संरक्षण, निविदा प्राप्त करने, बिल स्वीकृत कराने तथा अनियमितताओं पर पर्दा डालने के लिए लोक सेवकों को रिश्वत देने में शामिल थे। केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना का उद्देश्य घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है और इसे राजस्थान में राज्य पीएचईडी क्रियान्वित कर रहा है।
राजस्थान में 200 सदस्यीय विधानसभा के लिए 25 नवंबर को मतदान होगा और मतगणना तीन दिसंबर को होगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय एजेंसियां विपक्षी दलों के नेताओं और कांग्रेस नीत सरकारों को निशाना बनाने के लिए केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार के निर्देश पर काम कर रही हैं।