India Bangladesh Tension: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद ने मंगलवार को कहा कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने नई दिल्ली के साथ तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के लिए कदम उठाए हैं और उनका प्रशासन आर्थिक हितों को राजनीतिक बयानबाजी से अलग रखते हुए भारत के साथ आर्थिक संबंध विकसित करने पर काम कर रहा है.
अहमद ने अपने कार्यालय में सरकार की खरीद संबंधी सलाहकार परिषद समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘मुख्य सलाहकार भारत के साथ कूटनीतिक संबंध सुधारने पर काम कर रहे हैं और वह स्वयं भी इस विषय पर विभिन्न संबंधित पक्षों से बात कर रहे हैं.’
क्या यूनुस ने भारत से सीधे बात की है?
जब उनसे पूछा गया कि क्या यूनुस ने भारत से सीधे बात की है तो अहमद ने कहा कि मुख्य सलाहकार ने नहीं की लेकिन उन्होंने इस मामले से जुड़े लोगों से बात की है. उन्होंने कहा, ‘हमारी व्यापार नीति राजनीतिक विचारों से संचालित नहीं होती. यदि भारत से चावल आयात करना वियतनाम या कहीं और से मंगाने की तुलना में सस्ता है तो आर्थिक रूप से यही तर्कसंगत है कि हम यह मुख्य खाद्यान्न भारत से खरीदें.’
भारत से 50,000 टन चावल खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी
अहमद ने आशा जताई कि द्विपक्षीय संबंध और खराब नहीं होंगे. अहमद ने कहा कि बांग्लादेश ने ‘अच्छे संबंध बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए’ भारत से 50,000 टन चावल खरीदने के एक प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी. उन्होंने कहा कि इस चावल का आयात बांग्लादेश के लिए लाभकारी होगा क्योंकि भारत के बजाय वियतनाम से चावल मंगाने पर प्रति किलोग्राम 10 बांग्लादेशी टका (0.082 अमेरिकी डॉलर) अधिक खर्च आएगा.
खराब दौर से गुजर रहे भारत-बांग्लादेश संबंध
अहमद की टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब कूटनीतिक विश्लेषकों ने कहा है कि भारत एवं बांग्लादेश के संबंध 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर हैं. दोनों देशों ने एक-दूसरे के दूतों को तलब किया है तथा दोनों देशों की राजधानियों एवं अन्य स्थानों पर बांग्लादेशी और भारतीय मिशनों के सामने विरोध-प्रदर्शन हुए हैं. इसके बावजूद सलाहकार ने कहा, ‘स्थिति इतनी बुरी अवस्था तक नहीं पहुंची है.’
‘हम दोनों देशों के बीच कोई कड़वाहट नहीं चाहते’
अहमद ने कहा, ‘बाहर से देखने पर ऐसा लग सकता है कि बहुत कुछ हो रहा है. हालांकि, कुछ बयान ऐसे होते हैं जिन्हें रोकना कठिन होता है.’ जब उनसे पूछा गया कि क्या लोग या बाहरी ताकतें भारत-विरोधी बयान दे रही हैं तो उन्होंने कहा,’हम दोनों देशों के बीच कोई कड़वाहट नहीं चाहते. यदि बाहर से कोई समस्या भड़काने की कोशिश कर रहा है तो यह किसी भी देश के हित में नहीं है.’ उन्होंने साथ ही कहा कि ये घटनाएं राष्ट्रीय अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं बल्कि ये बांग्लादेश के लिए जटिल परिस्थितियां पैदा कर रही हैं.
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