Sunday, December 22, 2024
Homeजेआईजे स्पेशलDiwali Celebration : लक्ष्मी पूजन के बाद गोवर्धन पूजा करें आज और...

Diwali Celebration : लक्ष्मी पूजन के बाद गोवर्धन पूजा करें आज और कल, फिर मनाएं भाई दूज

जयपुर। तिथियों में भुगत भोग्य यानी घटने-बढ़ने के कारण दीपोत्सव पर्वइस बार छह दिनों तक का है, जिसकी शुरुआत 10 नवंबर को धनतेरस से हो गई। 11 को रूप चतुर्दशी, 12 को दिवाली मनाई गई। वहीं अब 14 को गोवर्धन पूजा और 15 को भाई दूज मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा की तिथि सोमवार को दोपहर 2:56 पर शुरू होकर मंगलवार यानी 14 नवंबर 2:36 तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, कुछ जगहों पर गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को मनाई जाएगी

14 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा, इसलिए आप 13 नवंबर के शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। आप चाहें तो गोवर्धन पूजा 14 नवंबर की सुबह में भी कर सकते हैं। 14 नवंबर 2 बजे के बाद भाई दूज की तिथि शुरू जाएगी। इस प्रकार आप एक ही दिन में दो पर्व मना सकते हैं।

14 नवंबर पर गोवर्धन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 6:43 से प्रारंभ होकर 8:52 तक रहेगा। इन 2 घंटों के दौरान आप पूजा पाठ कर सकते हैं। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर पूजा की जाती है।

इस दिन श्रीकृष्ण के स्वरूप गोवर्धन पर्वत (गिरिराज जी) और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता है। गोवर्धन, वृंदावन और मथुरा सहित पूरे बृज में इस दिन जोर-शोर से अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव कार्तिक प्रतिपदा से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। 

इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्रीकृष्ण और गोमाता की पूजा करने का विधान है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र के अहंकार को नष्ट किया था। इस दिन मंदिरों के अलावा कॉलोनी आदि में गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान के बड़े सुंदर प्रतिरूप बनाकर पूजा की जाती है।

यह है गोवर्धन पूजा की कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में इंद्र ने कुपित होकर जब मूसलाधार बारिश की तो श्री कृष्ण ने गोकुलवासियों व गायों की रक्षार्थ और इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत, छोटी अंगुली पर उठा लिया था। उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी, सभी गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुरक्षित रहे। तब ब्रह्माजी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्रीकृष्ण ने जन्म ले लिया है,उनसे बैर लेना उचित नहीं है। तब श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपने इस कार्य पर बहुत लज्जित हुए और भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की।इन्द्र के अभिमान को चूर करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने सभी गोकुल वासियों सहित कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56  प्रकार के व्यंजनों का भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments