Thursday, November 13, 2025
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Delhi Red Fort Blast : अल-फलाह विश्वविद्यालय को मान्यता के झूठे दावे को लेकर NAAC से नोटिस मिला, हितधारकों को गुमराह कर रहा है

Delhi Red Fort Blast : नई दिल्ली। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) ने अल-फलाह विश्वविद्यालय को अपनी वेबसाइट पर गलत मान्यता प्रदर्शित करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। यह विश्वविद्यालय दिल्ली विस्फोट मामले की जांच के घेरे में है।

अल-फलाह विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट को सार्वजनिक किया

कारण बताओ नोटिस में एनएएसी ने कहा कि उसने पाया है कि अल-फलाह विश्वविद्यालय, ‘जो न तो मान्यता प्राप्त है और न ही उसने एनएएसी द्वारा मान्यता के लिए आवेदन किया है’, अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया है कि ‘अल-फलाह विश्वविद्यालय अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट का एक प्रयास है, जो परिसर में तीन कॉलेज चला रहा है – अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (1997 से एनएएसी द्वारा ग्रेड ए), ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (2008 से) और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (2006 से एनएएसी द्वारा ग्रेड ए)। कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, ‘‘यह पूरी तरह से गलत है और जनता विशेषकर अभिभावकों, छात्रों और हितधारकों को गुमराह कर रहा है।

एनएएसी ने विश्वविद्यालय से स्पष्टीकरण मांगा है और उसे निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट तथा अन्य सार्वजनिक रूप से उपलब्ध या वितरित दस्तावेजों से एनएएसी मान्यता संबंधी विवरण हटा दे। सोमवार को दिल्ली में लाल किले के पास एक कार में हुए एक उच्च-तीव्रता वाले विस्फोट में 13 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। यह घटना एक ‘‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’’ के भंडाफोड़ के कुछ ही घंटों बाद हुई। गिरफ्तार लोगों में अल-फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े तीन चिकित्सक भी शामिल हैं।

दिल्ली धमाके के बाद ‘अल फलाह यूनिवर्सिटी’ निशाने पर

हरियाणा के फरीदाबाद जिले के मुस्लिम बहुल धौज गांव में स्थित अल-फलाह विश्वविद्यालय और उसका 76 एकड़ का विशाल परिसर ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ और दिल्ली के लाल किले के पास विस्फोट के सिलसिले में तीन डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद जांच के घेरे में आ गया है। इस मामले में कुछ शिक्षित लोगों के ‘‘पाकिस्तान समर्थित आकाओं के इशारे पर काम करने’’ का पता चलने के बाद, जांचकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि विश्वविद्यालय ऐसे व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह कैसे बन गया।

विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना हरियाणा विधानसभा द्वारा हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत की गई थी। इसकी शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। 2013 में, अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) से ‘ए’ श्रेणी की मान्यता प्राप्त हुई। 2014 में, हरियाणा सरकार ने इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया। अल-फलाह मेडिकल कॉलेज भी इस विश्वविद्यालय से संबद्ध है। कई विशेषज्ञों के अनुसार, अपने शुरुआती वर्षों में, अल-फलाह विश्वविद्यालय ने खुद को अल्पसंख्यक छात्रों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया के एक बेहतरीन विकल्प के रूप में पेश किया।

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस विश्वविद्यालय का प्रबंधन अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी। जवाद अहमद सिद्दीकी इस ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं। मुफ्ती अब्दुल्ला कासिमी एम ए इसके उपाध्यक्ष और मोहम्मद वाजिद डीएमई इसके सचिव हैं। अल-फलाह विश्वविद्यालय के वर्तमान रजिस्ट्रार प्रोफेसर (डॉ.) मोहम्मद परवेज हैं। डॉ. भूपिंदर कौर आनंद इसकी कुलपति हैं। विश्वविद्यालय परिसर में स्थित तीन कॉलेजों में शिक्षा प्रदान की जाती है। यह क्रमश: अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ब्राउन हिल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, और अल-फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग हैं। विश्वविद्यालय में 650 बिस्तर वाला एक छोटा अस्पताल भी है, जहां डॉक्टर मुफ्त में मरीजों का इलाज करते हैं।

इस वजह से आया अल फलाह यूनिवर्सिटी निशाने पर

पुलिस ने बताया कि उन्होंने मंगलवार को पूरे दिन विश्वविद्यालय में निरीक्षण किया और कई लोगों से पूछताछ की। सोमवार शाम, दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक कार में एक उच्च-तीव्रता वाला विस्फोट हुआ, जिसमें अब तक 13 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। कार में बड़ी मात्रा में विस्फोटक रखा था। संदेह है कि यह कार पुलवामा का डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी चला रहा था जो अल-फलाह विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर था। इस विस्फोट से कुछ घंटे पहले विश्वविद्यालय से जुड़े तीन डॉक्टरों सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किया गया था। इसके साथ ही जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़े एक ‘सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल’ का खुलासा हुआ, जो कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है। गिरफ्तार किए गए लोगों में डॉ. मुजम्मिल गनई भी है, जो अल-फलाह विश्वविद्यालय में शिक्षक था।

Mukesh Kumar
Mukesh Kumarhttps://jagoindiajago.news/
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