Delhi High Court On Money Laundering Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने 641 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 3 लोगों को जमानत दे दी और गंभीर भूमिका वाले आरोपियों को गिरफ्तार न करके स्पष्ट रूप से मनमाने ढंग से काम करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाई. न्यायमूर्ति अमित महाजन ने फर्जी निवेश योजनाओं और नौकरी के झूठे वादों के जरिए कई लोगों को कथित रूप से ठगने और धोखाधड़ी करने के मामले में आरोपी विपिन यादव, अजय और राकेश करवा को जमानत दे दी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने ईडी को लगाई फटकार
न्यायाधीश ने 26 सितंबर के अपने आदेश में कहा, ‘ऐसे आरोपी को गिरफ्तार न करना, जिसकी भूमिका अर्जी देने वालों से अधिक गंभीर प्रतीत होती है, और यहां तक कि फर्जी खातों की व्यवस्था करने में मदद करने वाले व्यक्ति को भी आरोपी नहीं बनाना, प्रतिवादी द्वारा अपनाया गया दृष्टिकोण प्रथम दृष्टया स्पष्ट रूप से मनमाना प्रतीत होता है. इसलिए, आवेदकों को समानता का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता.’ उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा की जा रही जांच, जिसके आधार पर ईडी द्वारा वर्तमान मामला दर्ज किया गया था, अभी तक समाप्त नहीं हुई है और मौजूदा मामला अभी भी संज्ञान के स्तर पर है.
कोर्ट ने मुख्य आरोपी रोहित अग्रवाल को लेकर उठाए सवाल
अजय और विपिन को 29 नवंबर 2024 को, जबकि राकेश को 29 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया गया था. न्यायाधीश ने कहा कि यह तर्क दिया गया है कि पहली अभियोजन शिकायत में 76 गवाह और पूरक अभियोजन शिकायत में 35 गवाह हैं, जिससे यह बहुत कम संभावना है कि मुकदमा शीघ्रता से समाप्त हो जाएगा. प्रथम दृष्टया, आवेदकों की भूमिका मुख्य आरोपी रोहित अग्रवाल की भूमिका से अधिक गंभीर नहीं कही जा सकती, क्योंकि ईडी का कहना है कि अधिकांश धनराशि उसी से आई थी. सीबीआई के अनुसार, आरोपी ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 12 बैंक खातों का प्रबंधन, संचालन और नियंत्रण किया, जिनके खिलाफ राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर साइबर धोखाधड़ी से संबंधित 16 शिकायतें प्राप्त हुईं।