नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर (NEET-PG) की काउंसलिंग के लिए कट ऑफ के वास्ते आवश्यक अंक (कट ऑफ क्वालीफाइंग परसेंटाइल) को घटाकर शून्य करने के खिलाफ दायर की गयी याचिका पर केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) से जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने मेडिकल काउंसलिंग कमेटी से उन 3 डॉक्टरों द्वारा दायर याचिका पर जवाब देने को भी कहा, जो 5 मार्च को NEET-PG 2023 की परीक्षा में शामिल हुए और काउंसलिंग में भाग लिया। MBBS डॉक्टरों ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के 20 सितंबर के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके द्वारा उम्मीदवारों को मौजूदा दाखिला सत्र के बीच NEET-PG 2023 के लिए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अर्हता परसेंटाइल में कमी के बारे में सूचित किया गया था।
अधिवक्ता तन्वी दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया अभ्यर्थी यह जानकर हैरान रह गए कि अर्हता परसेंटाइल को घटाकर शून्य परसेंटाइल कर दिया गया है, यानी सभी श्रेणियों में माइनस 40 अंक। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सरकार का आदेश गलत और कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। याचिका के मुताबिक, पात्रता मानदंड को घटाकर शून्य परसेंटाइल यानी माइनस 40 अंक करने से NEET-PG परीक्षा आयोजित करने का मूल उद्देश्य ही विफल हो गया है। इसमें कहा गया है कि यदि पात्रता के भागफल को ही कमजोर कर दिया जाए तो यह राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा के पूरे उद्देश्य को भी धूमिल कर देता है। आक्षेपित आदेश के पारित होने का मतलब यह भी होगा कि उत्तरदाताओं ने सीट भरने को महत्व दिया है, भले ही यह कुछ मानकों का त्याग करने के समान हो। उच्चतम न्यायालय ने 25 सितंबर को काउंसलिंग के लिए कट ऑफ क्वालिफाइंग परसेंटाइल को घटाकर शून्य करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था।