Monday, December 15, 2025
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Delhi Pollution Crisis: दिल्ली उच्च न्यायालय ने वकीलों को हाइब्रिड मोड अपनाने की सलाह दी, 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

दिल्ली में गंभीर प्रदूषण और घने कोहरे के बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने वकीलों और पक्षकारों को मामलों की सुनवाई के लिए हाइब्रिड मोड अपनाने की सलाह दी है। एक्यूआई 498 तक पहुंचने के कारण रजिस्ट्रार जनरल ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होने की अनुमति दी।

Delhi Pollution Crisis : नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के गंभीर स्तर के बीच सोमवार को भौतिक रूप से पेश होने वाले वकीलों और पक्षकारों को मामलों की सुनवाई के लिए ‘हाइब्रिड मोड’ में पेश होने की सलाह दी। सोमवार को दिल्ली घने धुंध की चादर में लिपटी रही और इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 498 पर पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है।

उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी एक परिपत्र में कहा गया है, मौसम की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मुझे यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि यदि सुविधाजनक हो, तो बार के सदस्य या पक्षकार न्यायालयों के समक्ष सूचीबद्ध मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हाइब्रिड मोड में शामिल हो सकते हैं। प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने रविवार को भी बार के सदस्यों और पक्षकारों को मौसम की मौजूदा स्थिति को देखते हुए उच्चतम न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध मामलों में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हाइब्रिड मोड में उपस्थित होने की सलाह दी।

दिल्ली में वायु प्रदूषण संकट पर 17 दिसंबर को सुनवाई करेगा सु्प्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में बिगड़ते वायु प्रदूषण के स्तर से संबंधित याचिका पर 17 दिसंबर को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पामचोली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह की दलीलों पर गौर किया, जो न्याय मित्र के रूप में न्यायालय की सहायता कर रही हैं। सिंह ने कहा कि यद्यपि निवारक उपाय मौजूद हैं, लेकिन मुख्य मुद्दा अधिकारियों द्वारा उपायों का खराब कार्यान्वयन है। सिंह ने कहा कि जब तक यह अदालत कोई निर्देश नहीं देती, अधिकारी पहले से मौजूद प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं। इस पर सीजेआई ने कहा, यह मामला बुधवार को तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आएगा। इस पर सुनवाई होगी।

एक अन्य वकील ने बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे से जुड़े एक आवेदन का हवाला देते हुए कहा कि पहले के आदेशों के बावजूद स्कूल बाहरी खेल गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं। न्याय मित्र ने यह भी कहा, इस अदालत के आदेश के बावजूद स्कूलों ने इन खेल गतिविधियों को आयोजित करने के तरीके खोज लिए हैं… ये गतिविधियां हो रही हैं। सीएक्यूएम (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) एक बार फिर इस अदालत के आदेश का हवाला दे रहा है। सीजेआई ने कहा, ‘‘हम समस्या को जानते हैं और हम ऐसे आदेश पारित करेंगे जिनका पालन किया जा सके। कुछ निर्देश ऐसे हैं जिन्हें बलपूर्वक लागू किया जा सकता है। इन शहरी महानगरों में लोगों की अपनी जीवनशैली होती है। लेकिन गरीबों का क्या होगा……।’’

न्याय मित्र ने कहा कि गरीब मजदूर सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। इससे पहले पीठ ने कहा था कि वायु प्रदूषण के खिलाफ दायर याचिका को ‘‘सामान्य’’ मामला नहीं माना जा सकता, जिसे केवल सर्दियों के महीनों में ही सूचीबद्ध किया जाए। उसने कहा था कि इस समस्या के अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए महीने में दो बार मामले की सुनवाई की जाएगी। सोमवार को दिल्ली घनी धुंध की चादर में लिपटी रही, जिससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 498 पर पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। वायु गुणवत्ता 38 केंद्रों पर ‘गंभीर’ थी, जबकि दो केंद्रों पर यह ‘बेहद खराब’ थी। जहांगीरपुरी में एक्यूआई 498 दर्ज किया गया, जो सभी 40 केंद्रों में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला केंद्र रहा।

Mukesh Kumar
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