नई दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा करीब 70 हजार लोगों को नियुक्ति पत्र सौंपे जाने की पृष्ठभूमि में शनिवार को आरोप लगाया कि पिछले 9 वर्षों के दौरान करोड़ों नौकरियां खत्म हो गई और लगभग 20 हजार लघु एवं मध्यम इकाइयां बंद हो गई।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री किश्तों में भर्ती पत्र बांटकर ऐसे जता रहें हैं कि मानो उन्होंने हर साल 2 करोड़ नौकरियों का वादा पूरा कर दिया हो, जबकि उनकी सरकार के तहत युवाओं का भविष्य अंधकार में है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि एमएसएमई क्षेत्र इस ‘अमृतकाल’ में अपने सबसे बुरे दौर का सामना कर रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को करीब 70 हजार लोगों को डिजिटल माध्यम से नियुक्ति पत्र सौंपा। इस अवसर उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान सत्ता के लोभ में राष्ट्रीय हितों को तिलांजलि दी गई।
खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘देश में 3 वर्षों में ही क़रीब 20,000 एमएसएमई उद्योग ठप्प हुए। अकेले सरकारी महकमों में ही 30 लाख पद ख़ाली हैं। पर ‘इवेंटजीवी’ मोदी सरकार के मुखिया, मोदी किश्तों में भर्ती पत्र बांटकर ऐसे जता रहें हैं कि मानो उन्होंने 2 करोड़ नौकरियां, प्रति वर्ष देने का भाजपाई वादा पूरा कर दिया हो। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘वो तो सरकार के स्वीकृत पद हैं, वो तो कब के भर जाने चाहिए थे ! पिछले 9 वर्षों में स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया, स्टैंडअप इंडिया आदि का इवेंट तो बनाया गया, पर लाखों एमएसएमई को मोदी सरकार की ग़लत नीतियों का दंश झेलना पड़ा !’’
खरगे ने आरोप लगाया, ‘‘करोड़ों युवाओं की नौकरिया ख़त्म हो गई। उनका भविष्य अंधकारमय हो गया। एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस को तो ख़ासा चोट पहुंची। देश के युवा अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस युवा विरोधी सरकार को जाना होगा। भारत जुड़ेगा, ‘इंडिया’ जीतेगा !’’
रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री का सारा ध्यान सिर्फ अपने चुनिंदा पूंजीपति मित्रों को फ़ायदा पहुंचाने पर है। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले एमएसएमई को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। लोकसभा में सरकार ने ख़ुद माना कि 3 साल में क़रीब 20 हज़ार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम बंद हुए हैं। यह अनुमान भी वास्तविकता से बेहद कम है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘एमएसएमई क्षेत्र अभी तक नोटबंदी और जीएसटी की मार से नहीं उबरा है। सरकार की तरफ़ से पर्याप्त कदम भी नहीं उठाए जा रहे हैं। यही कारण है कि जो सेक्टर युवाओं को रोज़गार देने में अहम भूमिका निभा सकता था, देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान कर सकता था, वो तथाकथित अमृत काल में अपने सबसे बुरे दौर में है।’’