Nimisha Priya Case : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राज्यसभा सदस्य पी. संदोष कुमार ने बृहस्पतिवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर आग्रह किया कि यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लगवाने के लिए हर संभव कूटनीतिक और मानवीय प्रयास किए जाएं। इसके अलावा, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने निमिषा प्रिया को बचाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
जॉन ब्रिटास ने अपने पत्र में लिखा कि मैं भारी मन और गहरी तात्कालिकता के साथ निमिषा प्रिया की फांसी के बारे में लिख रहा हूं, जो 16 जुलाई, 2025 को यमन में निर्धारित है। इस फांसी की दुखद खबर ने उनके परिवार और शुभचिंतकों में व्यापक चिंता और पीड़ा पैदा कर दी है। इस मामले में भारत सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।
निमिषा प्रिया की मदद के लिए आगे आये भाकपा सांसद
जयशंकर को लिखे पत्र में सांसद पी. संदोष ने कहा कि खबरों से पता चला है कि प्रिया को कुछ ही दिनों में फांसी दी जा सकती है। कुमार ने कहा, निमिषा प्रिया के मामले ने न केवल जनता की अंतरात्मा को झकझोर दिया है, बल्कि कानूनी सुरक्षा उपायों की कमी और उसके साथ हुई मानवीय पीड़ा के पहलुओं को लेकर गंभीर चिंताएं भी पैदा की हैं। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि प्रिया आजीविका की तलाश में यमन गई थीं। उन्होंने कहा, वहां बिताए उनके साल गंभीर कष्टों से भरे रहे और उन्हें व्यापारिक साझेदार के हाथों बार-बार दुर्व्यवहार और ज़बरदस्ती सहनी पड़ी। उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया गया और उन्हें लगातार भय और शोषण का सामना करना पड़ा।
2020 में सुनाई गई थी मौत की सजा
संदोष कुमार के मुताबिक, इसके बाद जो हुआ वह एक दुखद मोड़ था जिसमें अब उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। उन्होंने आग्रह किया कि भारतीय नर्स को बचाने के लिए हर संभव कूटनीतिक और मानवीय उपाय अपनाए जाए। केरल के पलक्कड़ जिले की 38 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उन्हें 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई। वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद हैं।
निमिषा को बचाने के लिए 40 हजार डॉलर
ब्रिटास ने बताया कि ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने सरकार को पहले ही ‘दीया’ (ब्लडमनी) के रूप में 40,000 डॉलर सौंप दिए हैं, लेकिन उन पैसों का क्या हुआ? अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है। देरी या लापरवाही के कारण प्रिया की जान चली जाएगी। अफसोस की बात है कि सरकार ने अब तक आवश्यक वास्तविक राशि या सुविधा प्रयासों पर कोई जरुरी जानकारी नहीं दी है, जिसके कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसमें बहुमूल्य समय नष्ट हो गया है। बता दें कि ब्रिटास ने सरकार से यमन में हितधारकों की पहचान करने, दीया राशि पर बातचीत करने और सहमत राशि की सूचना देने की मांग की भी है ताकि आगे भुगतान के लिए और भी धनराशि सरकार को सौंपी जा सके।