कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद अभिषेक बनर्जी पर न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करने का आरोप लगाते हुए एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया और उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने और उनकी टिप्पणियों पर स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस शिवाग्ननम ने वरिष्ठ अधिवक्ता विकास रंजन भट्टाचार्य से 3 सदस्यीय पीठ के समक्ष इस याचिका का उल्लेख करने को कहा जो न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा के अदालत कक्ष को बाहर से बंद करने और दक्षिण कोलकाता स्थित उनके आवास के बाहर अपमानजनक पोस्टर चिपकाने को लेकर स्वत: संज्ञान अवमानना मामले की सुनवाई कर रही है। भट्टाचार्य ने कहा, ‘’संबंधित व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि उच्च न्यायालय समाज विरोधी तत्वों को संरक्षण दे रहा है।’’ उन्होंने कहा कि बनर्जी ने राज्य में पंचायत चुनाव प्रक्रिया के दौरान हुई लोगों की मौत के लिए न्यायपालिका के एक वर्ग को जिम्मेदार ठहराया है।
भट्टाचार्य ने दावा किया कि न्यायपालिका पर इन कथित टिप्पणियों का अदालत की प्रतिष्ठा पर गंभीर असर पड़ा है। उन्होंने मौखिक रूप से खंडपीठ से TMC के राष्ट्रीय महासचिव की टिप्पणियों पर स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वृहद पीठ 2 अन्य न्यायाधीशों के पास समय उपलब्ध होने के अनुसार इस सप्ताह बैठेगी और मामले को इसके समक्ष पेश किया जा सकता है। वृहद पीठ में मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी और न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास शामिल हैं।