Wednesday, November 6, 2024
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Congress Vs BJP : नए सदन में होती है घुटन, पुराने भवन में होता था खुलेपन का अहसास

नई दिल्ली। कांग्रेस ने संसद के नए भवन के डिजाइन को लेकर शनिवार को सवाल खड़े किए. कांग्रेस ने कहा कि दोनों सदनों के बीच समन्वय खत्म हो गया है और इसमें घुटन महसूस होती है, जबकि पुराने भवन में खुलेपन का अहसास होता था. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा. नए संसद भवन में दोनों सदनों की कार्यवाही बीते विशेष सत्र में 19 सितंबर से शुरू हुई। पुराने भवन को अब ‘संविधान सदन’ के नाम से जाना जाता है।

ट्वीट करते हुए कहा – मोदी मल्टीप्लेक्स

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘इतने भव्य प्रचार-प्रसार के साथ उद्घाटन किया गया नया संसद भवन प्रधानमंत्री के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से दिखाता है. इसे ‘मोदी मल्टीप्लेक्स’ या ‘मोदी मैरियट’ कहा जाना चाहिए. चार दिन में मैंने देखा कि दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत एवं संवाद ख़त्म हो गया है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘हॉल के कंपैक्ट (सुगठित) नहीं होने की वजह से एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता महसूस होती है. पुराने संसद भवन की कई विशेषताएं थीं. एक विशेषता यह भी थी कि वहां बातचीत और संवाद की अच्छी सुविधा थी. दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच आना-जाना आसान था. नया भवन संसद के संचालन को सफ़ल बनाने के लिए आवश्यक जुड़ाव को कमज़ोर करता है. दोनों सदनों के बीच आसानी से होने वाला समन्वय अब अत्यधिक कठिन हो गया है।’’

संसद की नयी इमारत भूलभुलैया जैसी

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अगर आप पुरानी इमारत में खो जाते तो आपको अपना रास्ता फ़िर से मिल जाता क्योंकि वह गोलाकार है. नयी इमारत में यदि आप रास्ता भूल जाते हैं, तो भूलभुलैया में खो जाएंगे. कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ‘‘ पुरानी इमारत के अंदर और परिसर में खुलेपन का एहसास होता है, जबकि नई इमारत में घुटन महसूस होती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब संसद में भ्रमण का आनंद गायब हो गया है. मैं पुराने भवन में जाने के लिए उत्सुक रहता था. नया परिसर दर्दनाक और पीड़ा देने वाला है. मुझे यकीन है कि पार्टी लाइन से परे मेरे कई सहयोगी भी ऐसा ही महसूस करते होंगे।’’ रमेश ने दावा किया, ‘‘ मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से यह भी सुना है कि नए भवन के डिज़ाइन में उन्हें काम में मदद करने के लिए आवश्यक विभिन्न व्यावहारिकताओं पर विचार नहीं किया गया है. ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले लोगों के साथ ठीक से परामर्श नहीं किया जाता है।’’ उन्होंने कहा कि 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा.

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