रोहतक। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि खादी केवल पोशाक नहीं होती, बल्कि ‘स्वदेशी’ और ‘आत्मनिर्भरता’ की भावना होती है। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वह आजादी के बाद खादी को भूल गई और उसे बढ़ावा देने के लिए कुछ नहीं किया। गृह मंत्री ने शुक्रवार को यहां ‘खादी कारीगर महोत्सव’ को संबोधित करते हुए यह बात कही। इससे पहले उन्होंने रोहतक में नवनिर्मित साबर डेयरी प्लांट का उद्घाटन किया। देश पर कई दशकों तक राज करने वाली कांग्रेस का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस खादी को भूल गई। उन्होंने ने यहां ‘खादी कारीगर महोत्सव’ कार्यक्रम के दौरान कहा, उसने (कांग्रेस ने) खादी पर ध्यान नहीं दिया और उसके प्रचार-प्रसार के लिए कुछ नहीं किया।
आज केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री माननीय श्री @AmitShah जी ने रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित खादी कारीगर महोत्सव में उपस्थित कारीगरों को आधुनिक मशीन, टूल किट्स एवं पीएमईजीपी के तहत 301 करोड़ रुपए की मार्जिन मनी वितरित कर उन्हें स्वदेशी से स्वावलंबन की… pic.twitter.com/PPoB4r0AVU
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) October 3, 2025
मोदी सरकार ने खादी को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया : अमित शाह
नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा खादी के प्रचार-प्रसार के लिए उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए गृहमंत्री ने कहा, मुझे लगता है कि पिछले 11 वर्ष में जो काम किया गया है अगर वह आजादी के बाद लगातार किया गया होता तो हमारे देश को बेरोजगारी की समस्या का सामना कभी नहीं करना पड़ता। खादी कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि बृहस्पतिवार को ‘गांधी जयंती’ मनाई गई। गृहमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गरीबी दूर करने, देश को आत्मनिर्भर बनाने, देश को स्वदेशी का विचार देने और देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए खादी का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा खादी के क्षेत्र में की गयी शुरुआत ने देश के लाखों बुनकरों के जीवन को बदल दिया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा दिए गए ‘खादी मंत्र’ ने स्वतंत्रता आंदोलन को गति दी।
शाह ने कहा, लेकिन इसके बाद, कांग्रेस खादी को भूल गई। उन्होंने कहा कि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने खादी को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा कि बाद में प्रधानमंत्री के रूप में मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से नागरिकों को खादी का उपयोग करने का संदेश दिया। गृहमंत्री ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग के वर्तमान कारोबार का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ और परिणाम आपके सामने है। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग का कारोबार 2014-15 के 33,000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 1.70 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह बड़ीसंख्या में बुनकरों को रोजगार मुहैया कराने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि देश में कई कंपनियों का इतना बड़ा कारोबार नहीं है। उन्होंने कहा कि खादी के विपणन और पैकेजिंग की एक अच्छी व्यवस्था बनाई गई और लोगों को प्रेरित किया गया।

खादी एक पोशाक नहीं होती, बल्कि ‘स्वदेशी’ और ‘आत्मनिर्भरता’ की भावना होती है : शाह
शाह ने कहा, जब हम खादी पहनते हैं, तो यह केवल एक पोशाक नहीं होती, बल्कि ‘स्वदेशी’ और ‘आत्मनिर्भरता’ की भावना होती है। इस अवसर पर, महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में 2,200 से अधिक कारीगरों को ‘टूल किट (संबंधित औजार) प्रदान किए गए। यह कार्यक्रम सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा आयोजित किया गया था और इसका ध्येयवाक्य ‘स्वदेशी से स्वावलंबन’ था। कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर आधुनिक मशीनरी और टूल किट वितरण के साथ प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत ‘मार्जिन मनी’ के रूप में 301 करोड़ रुपये भी वितरित किए गए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, पूर्व भाजपा अध्यक्ष शाह ने कहा कि ‘स्वराज’ की अवधारणा ‘स्वदेशी’ और ‘स्वभाषा’ के बिना अधूरी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में 140 करोड़ लोगों से स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि देश के कई व्यापारियों ने अपनी दुकानों और शोरूम में विदेशी उत्पाद न रखने का संकल्प भी लिया है। उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर’ का विचार और ‘स्वदेशी’ का नारा देश के ग्रामीण लोगों के लिए फायदेमंद होगा। गृहमंत्री ने कहा, मोदी जी ने ‘खादी अपनाओ, स्वदेशी अपनाओ’ जैसे एक बहुत बड़े अभियान की बात की है और सभी को विश्वास है कि इससे देश ‘आत्मनिर्भर’ बनेगा। उन्होंने देशवासियों से हर साल कम से कम 5,000 रुपये मूल्य के खादी उत्पाद खरीदने की अपील की ताकि भारत ‘आत्मनिर्भरता’ की ओर बढ़े।
शाह ने कहा, मैं समझता हूं कि कुछ लोगों को समस्याएं हैं। लेकिन क्या हमारे पास खादी का तकिया कवर नहीं हो सकता, क्या हमारे पास खादी का तौलिया नहीं हो सकता, क्या हमारे पास खादी से बने गद्दे का कवर नहीं हो सकता और क्या हमारे पास खादी का नाइट ड्रेस नहीं हो सकता? शाह ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के अलावा, खादी शरीर को भी लाभ पहुंचाती है और गरीब परिवारों की मदद करती है।