Operation Sindoor: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पहलगाम आतंकी हमले का बदला ले लिया है. पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर कर दिया. ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देने के लिए विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ दो महिला सैन्य अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह मीडिया से मुखातिब हुई दोनों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार की ओर से शुरुआती बयान दिया और ऑपरेशन की रणनीति और सफलता के बारे में पूरी जानकारी दी. आइए आपको बताते हैं दोनों महिला अफसरों के बारे में
कौन हैं विंग कमांडर व्योमिका सिंह ?
विंग कमांडर व्योमिका सिंह एक कुशल हेलीकॉप्टर पायलट हैं, जिन्होंने कई तरह के विमान उड़ाए हैं और जटिल परिस्थितियों में नागरिकों को सुरक्षित निकालने के अभियानों में भाग लिया है. उन्होंने एक बार एक चैनल के कार्यक्रम में बताया था कि किस तरह उनका नाम व्योमिका उनके पायलट बनने की यात्रा में मददगार रहा.
#WATCH दिल्ली: #OperationSindoor | विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने कहा, "पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था। 9 आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया और सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया……" pic.twitter.com/pCxG9bGfJ3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 7, 2025
पायलट बनने में नाम कैसे रहा मददगार
व्योमिका के पति भी भारतीय वायु सेना में पायलट हैं. उन्होंने 2023 में एक निजी चैनल द्वारा आयोजित पैनल चर्चा के दौरान साझा किया था कि कैसे उनका नाम-व्योमिका, पायलट बनने की उनकी नियति में सहयोगी रहा. व्योमिका ने बताया, ‘मैं कक्षा-6 में थी तभी एक ‘यूरेका’ क्षण आया. मुझे लगा कि मैं पायलट बनना चाहती हूं और आसमान में उड़ान भरना चाहती हूं. हम नामों के अर्थ को लेकर कक्षा में चर्चा कर रहे थे. तभी कोई चिल्लाया कि ‘तुम व्योमिका हो, जिसका अर्थ है व्योम (आकाश) तुम्हारा है’. उसी दिन से मैं पायलट बनना चाहती थी. यह 1990 के दशक की शुरुआत की बात है.’
2,500 से अधिक घंटे उड़ान का अनुभव
‘नारी शक्ति’ के विषय पर हुई उस चर्चा में व्योमिका ने वायु सेना में शामिल होने और पायलट बनने की अपनी यात्रा के बारे में भी बताया. पायलट बनने का सपना देखने से लेकर 2,500 से अधिक उड़ान घंटे पूरे करने तक, व्योमिका ने देश के कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण इलाकों में कई हेलीकॉप्टरों का परिचालन किया है. इनमें जम्मू कश्मीर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से लेकर पूर्वोत्तर के दूरदराज के इलाके शामिल हैं. साल 2020 में उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में एक बचाव अभियान का नेतृत्व किया और नागरिकों को बचाने के लिए अत्यंत कठिन परिस्थितियों में उड़ान भरी. वायु सेना अधिकारी ने निजी चैनल को बताया था, ‘यह (वायु सेना में) एक शानदार अनुभव रहा है और मुझे यह बहुत पसंद है.’
कर्नल सोफिया कुरैशी को जानें
गुजरात से ताल्लुक रखने वाली कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर में अफसर हैं. उन्होंने कम उम्र में ही देश की सेवा करने की भावना को आत्मसात कर लिया था. 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से कमीशन प्राप्त करने के बाद उन्होंने कई अहम पोस्टिंग्स संभाली हैं, जिनमें काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशंस भी शामिल हैं. सोफिया का सेना से रिश्ता पीढ़ियों पुराना है. उनके दादा और पिता दोनों आर्मी में थे. 2006 में वह UN पीसकीपिंग मिशन के तहत कांगो में तैनात रहीं.
#WATCH दिल्ली | #OperationSindoor | कर्नल सोफिया कुरैशी ने मीडिया को संबोधित करते हुए पाकिस्तान और PoJK में मुंद्रिके और अन्य आतंकवादी शिविरों पर कई हमलों को दिखाते हुए वीडियो प्रस्तुत किए। pic.twitter.com/7mjDqXOGAQ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 7, 2025
2016 में तब लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर तैनात कुरैशी ने एक्सरसाइज फोर्स 18 में भारत की 40-सदस्यीय सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व किया. किसी भी मल्टीनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज़ में सेना की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय महिला अधिकारी बनीं. यह युद्धाभ्यास न केवल भारत का सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास था, बल्कि इसमें 18 देशों की सेनाओं ने भाग लिया.
सेना में शामिल होने की कहां से मिली प्रेरणा ?
वर्ष 2017 में आयोजित एक सामूहिक परिचर्चा में, कुरैशी ने सशस्त्र बलों में अपने सफर के बारे में बताया कि कैसे वह सेना में जाने के लिए प्रेरित हुईं. कुरैशी ने कहा था, ‘एक फौजी के बच्चे के रूप में, मैं सेना के माहौल से वाकिफ थी. मेरी मां चाहती थी कि हम दोनों बहनें सेना में शामिल हों. मैंने इसके लिए आवेदन किया और मैं इसमें शामिल हो गई. मेरे दादा भी सेना में थे, और वह कहते थे ‘यह हमारी, हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि हम सतर्क रहें और अपने देश के लिए खड़े हों और राष्ट्र की रक्षा करें. यह गरिमापूर्ण और सम्मानजनक पेशा है.’ उन्होंने यह भी कहा कि जब वह (सैन्य) अकादमी में शामिल हुईं, तो करगिल युद्ध चल रहा था.’
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