Coal Scam Case : नई दिल्ली। यहां की एक विशेष अदालत ने फतेहपुर पूर्व कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और तीन अन्य को आरोपमुक्त कर दिया है। इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई सबूत नहीं है।
अदालत ने पूर्व कोयला सचिव को बरी किया
विशेष न्यायाधीश धीरज मोर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कंपनी के दो प्रवर्तकों अंडाल अरुमुगम और टी एम सिंगारवेल और पूर्व संयुक्त सचिव कुलजीत सिंह क्रोफा को भी आरोपमुक्त कर दिया। वर्ष 2014 में प्राथमिकी दर्ज किये जाने के लगभग तीन साल बाद सीबीआई ने 21 सितंबर, 2017 को अपनी ‘क्लोजर रिपोर्ट’ पेश की थी, जिसमें दावा किया गया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और धारा 420 (धोखाधड़ी) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है।

निष्कर्षों से संतुष्ट नहीं होने पर विशेष अदालत ने एजेंसी को आगे की जांच करने का निर्देश दिया। छह साल बाद सीबीआई ने 2023 में पांच आरोपियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया। अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आरकेएम पावरजेन और उसके निदेशकों ने अपनी परियोजना की तैयारियों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए और कोयला ब्लॉक हासिल करने के लिए सरकार को धोखा दिया।
न्यायाधीश मोर को दोनों पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के दौरान सीबीआई के आरोपों को पुष्ट करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला, जबकि इस दौरान कंपनी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभिमन्यु भंडारी कर रहे थे। सीबीआई ने कथित कोयला घोटाला को लेकर सात अगस्त, 2014 को प्राथमिकी दर्ज की थी। आरकेएमपीपीएल ने 13 नवंबर, 2006 को कोयला मंत्रालय को छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा में फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए अपना आवेदन प्रस्तुत किया था, जो विद्युत क्षेत्र के लिए निर्धारित है। कंपनी ने अपने प्रस्तावित 1200 मेगावाट क्षमता वाले तापीय विद्युत संयंत्र के लिए यह आवेदन किया था।




