Uttarakhand : देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को रामपुर तिराहा गोलीकांड की 31 वीं बरसी पर पृथक राज्य के लिए प्राणों का बलिदान करने वाले आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि रामपुर तिराहा शहीद स्थल के पुनर्विकास का मास्टर प्लान बनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थित रामपुर तिराहा शहीद स्थल पर आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि यहां संग्रहालय को भव्यता प्रदान करने के लिए कार्य किए जाएंगे तथा इस स्थल पर एक कैंटीन तथा उत्तराखंड की बसों को ठहरने के लिए ‘स्टॉपेज’ भी बनाया जाएगा।
उत्तराखंड की नींव हमारे शहीदों ने अपने खून से सींची है : धामी
इस मौके पर धामी ने दो अक्टूबर 1994 को हुए इस गोलीकांड को उत्तराखंड निर्माण आंदोलन के इतिहास का ‘सबसे क्रूर और गहरे जख्म देने वाला काला अध्याय’ बताते हुए कहा कि आज भी उस बर्बर गोलीकांड तथा महिलाओं की अस्मिता पर हुए अमानवीय अत्याचारों को याद करके प्रत्येक उत्तराखंडी की रूह कांप उठती है। उन्होंने कहा, जिनके कंधों पर जनता की रक्षा की जिम्मेदारी थी, उन्होंने ही हिंसा और बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थीं। एक शांतिपूर्ण आंदोलन पर जिस तरह से तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने निर्दयता से अत्याचार किए, उससे मिले घाव आज भी प्रत्येक उत्तराखंडवासी के दिल में हरे हैं। उन्होंने कहा कि यह घटना उस समय के सत्ताधारी दल के दमनकारी रवैये का प्रतीक है और ‘उस दिन की बर्बरता हमें सदा याद दिलाती रहेगी कि उत्तराखंड की नींव हमारे शहीदों ने अपने खून से सींची है।’
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू किया है।उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान मारे गए आंदोलनकारियों के परिवारों के लिए 3000 रुपये प्रति माह पेंशन की सुविधा प्रारंभ की गई है जबकि घायल और जेल गए आंदोलनकारियों को 6000 रुपये तथा बढ़चढ़ हिस्सा लेने वाले (परंतु जेल नहीं गये, न ही घायल हुए) आंदोलनकारियों को 4500 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। धामी ने कहा कि सरकार ने चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों को पहचान पत्र जारी करने के साथ ही 93 आंदोलनकारियों को राजकीय सेवा में सेवायोजित भी किया है। उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों को सरकारी बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा भी दी जा रही है।
सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण लागू : धामी
आंदोलन में मातृशक्ति की भूमिका को भी अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि रामपुर तिराहा गोलीकांड के समय इस क्षेत्र के लोगों द्वारा आंदोलनकारियों को दी गयी सहायता को चिरस्थायी बनाने हेतु रामपुर, सिसौना, मेघपुर और बागोंवाली में जनमिलन केंद्रों का निर्माण कराया गया है जबकि शहीद स्मारक हेतु भूमि दान करने वाले दिवंगत महावीर शर्मा के योगदान को चिरस्थायी बनाने के लिए शहीद स्मारक में आज उनकी प्रतिमा का भी लोकार्पण किया गया ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आंदोलनकारियों की भावनाओं और सपनों के अनुरूप प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू की गयी । उन्होंने कहा कि सख्त नकल विरोधी कानून लागू कर पारदर्शी तरीके से भर्ती परीक्षाएं आयोजित की गयीं जिसके फलस्वरूप पिछले चार सालों में 25 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गयीं । उन्होंने इस संबंध में, राज्य में सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून, दंगारोधी कानून बनाने, मदरसा बोर्ड समाप्त कर सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए नया कानून लाने, प्रदेश में नौ हजार एकड़ से अधिक सरकारी भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने तथा सनातन संस्कृति को बदनाम करने वालों के विरुद्ध ‘ऑपरेशन कालनेमि’ चलाए जाने का भी उल्लेख किया ।
कार्यक्रम के दौरान, उत्तराखंड के मंत्रियों और विधायकों के साथ उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल कुमार तथा अनेक आंदोलनकारी भी मौजूद रहे । पृथक राज्य की मांग को लेकर दो अक्टूबर 1994 को दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर रामपुर तिराहा में हुए गोलीकांड में सात व्यक्ति मारे गए थे जबकि कई अन्य घायल हुए थे । इस कांड के बाद आंदोलन को एक नई धार मिली जिसके बाद आक्रोशित जनता ने अपने संघर्ष के निर्णायक अंत पर पहुंचने पर ही दम लिया । नौ नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर पृथक उत्तराखंड बना।