बेंगलुरु। भारत के चंद्रयान-3 का लैंडर बुधवार को अपने तय समय पर शाम 6:04 बजे ही चंद्रमा पर लैंड करेगा। चंद्रमा की सतह पर उतरते ही भारत पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के अज्ञात दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच देगा।
अगर चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर उतरने में सफल रहता है तो भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। चंद्र सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं, लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर नहीं हुई है।
आखिरी 15 मिनट सबसे मुश्किल होंगे
चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट लगेंगे। इस ड्यूरेशन को ‘15 मिनट्स ऑफ टेरर’ यानी ‘खौफ के 15 मिनट्स’ कहा जा रहा है। चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले, लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय किया जाएगा कि उस समय इसे उतारना उचित होगा या नहीं। अगर कोई भी फैक्टर तय पैमाने पर नहीं रहा तो लैंडिंग 27 अगस्त को कराई जाएगी। बता दें कि चंद्रयान का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है।
25 किमी की ऊंचाई से करेगा लैंडिंग
इसरो ने मंगलवार को कहा कि सभी सिस्टम्स को समय-समय पर चेक किया जा रहा है। ये सभी सही तरह से काम कर रहे हैं। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 फिलहाल चांद पर लैंडिंग के लिए सटीक जगह खोज रहा है। इसे 25 किमी की ऊंचाई से लैंड किया जाएगा। इसके साथ ही इसरो ने चांद की नई तस्वीरें शेयर की हैं, जो चंद्रयान-3 ने क्लिक की हैं। चंद्रयान ने 70 किमी की दूरी से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा की मदद से ये तस्वीरें खींचीं हैं।
बेसब्री से इंतजार कर रही: सुनीता विलियम्स
भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि वे प्रज्ञान रोवर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का इंतजार कर रही हैं। उन्होंने अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र को आकार देने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की। विलियम्स ने कहा कि चंद्रमा पर उतरने से हमें अमूल्य अंतर्दृष्टि मिलेगी। मैं वास्तव में रोमांचित हूं कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्रमा पर स्थायी जीवन की खोज में सबसे आगे है। यह वास्तव में रोमांचक समय है।
मून पर 4 फेज में होगी लैंडिंग; तीसरा फेज सबसे अहम, इसी में तय करेंगे लैंडिंग होगी या नहीं
फेज-1 इस चरण में लैंडर लगभग 1.68 किमी प्रति सैकेंड की गति से यात्रा शुरू करेगा और उसे घटाकर 358 मीटर प्रति सेकेंड किया जाएगा। 690 सेकंड में लगभग 745 किमी दूर पहुंचेगा। चांद की सतह से केवल 7.4 किमी रह जाएगी।
फेज-2 इस चरण में लगभग 10 सैकेंड में लैंडर की चांद की सतह से ऊंचाई घटकर 6.8 किमी की जाएगी। इस दौरान गति 336 मीटर प्रति सैकेंड हो जाएगी। फोटो ली जाएगी।
फेज-3 इस चरण में लैंडर चांद की सतह से लगभग 800 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा। इसमें लगभग 175 सैकेंड का वक्त लगेगा। इस ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड शून्य हो जाएगी। यह महत्वपूर्ण चरण होगा। क्योंकि, यहां से लैंडर के सेंसर चांद की सतह पर लेजर किरणें भेजकर लैंडिंग स्थल का मुआयना करेंगे कि, यह स्थल लैंडिंग के अनुकूल है या नहीं।
फेज-4 इस चरण में लैंडर 150 मीटर की ऊंचाई से पहले 60 मीटर की ऊंचाई तक आएगा फिर वहां से 10 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा। जब चांद की सतह से ऊंचाई सिर्फ 10 मीटर रह जाएगी तब वह धीरे से लैंडिंग के लिए आगे बढ़ेगा और उस समय गति केवल 1 या 2 मीटर प्रति सेकेंड रह जाएगी। जब लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा तो उसका कुल वजन 800 किलो रहेगा।